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चि॒ते तद्वां॑ सुराधसा रा॒तिः सु॑म॒तिर॑श्विना । आ यन्न॒: सद॑ने पृ॒थौ सम॑ने॒ पर्ष॑थो नरा ॥

English Transliteration

cite tad vāṁ surādhasā rātiḥ sumatir aśvinā | ā yan naḥ sadane pṛthau samane parṣatho narā ||

Pad Path

चि॒ते । तत् । वा॒म् । सु॒ऽरा॒ध॒सा॒ । रा॒तिः । सु॒ऽम॒तिः । अ॒श्वि॒ना॒ । आ । यत् । नः॒ । सद॑ने । पृ॒थौ । सम॑ने । पर्ष॑थः । न॒रा॒ ॥ १०.१४३.४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:143» Mantra:4 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:11» Mantra:4


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सुराधसा-अश्विना) हे उत्तम ज्ञान धनवाले अध्यापक उपदेशक ! (वाम्) तुम दोनों के शिक्षित (चिते) चेतनावाले जीवात्मा मनुष्य के लिए (रातिः सुमतिः) ज्ञान देना और कल्याणमति प्रदान करना चलता रहे (नः पृथौ-सदने समने) हमारे विस्तृत ज्ञानसदन अन्तःकरण को (नरा पर्षथः) तुम नेताओं ! उसे पूर्ण करो भरो ॥४॥
Connotation: - ज्ञानधन देनेवाले अध्यापक और उपदेशकों का मनुष्य के लिए ज्ञान देना सुमति प्रदान करना चालू रहना चाहिए, उससे ज्ञानसदन अन्तःकरण को भरना चाहिये ॥४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सुराधसा-अश्विना) सुधनवन्तौ-अध्यात्माध्यापकोपदेशकौ ! (वाम्) युवयोः (चिते) चेतयतीति चित् तस्मै जीवात्मने (रातिः सुमतिः) ज्ञानदानं तथा कल्याणी मतिः सम्मतिर्भवतु (नः पृथौ सदने समने) अस्माकं विस्तृतं ज्ञानसदनमन्तःकरणम्, द्वितीयायां सप्तमी व्यत्ययेन (नरा पर्षथः) हे नेतारौ-अध्यात्माध्यापकोपदेशकौ पूरयथः ॥४॥