उप॑ ते॒ गा इ॒वाक॑रं वृणी॒ष्व दु॑हितर्दिवः । रात्रि॒ स्तोमं॒ न जि॒ग्युषे॑ ॥
English Transliteration
upa te gā ivākaraṁ vṛṇīṣva duhitar divaḥ | rātri stomaṁ na jigyuṣe ||
Pad Path
उप॑ । ते॒ । गाःऽइ॒व । अ॒क॒र॒म् । वृ॒णी॒ष्व । दु॒हि॒तः॒ । दि॒वः॒ । रात्रि॑ । स्तोम॑म् । न । जि॒ग्युषे॑ ॥ १०.१२७.८
Rigveda » Mandal:10» Sukta:127» Mantra:8
| Ashtak:8» Adhyay:7» Varga:14» Mantra:8
| Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:8
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (रात्रि) हे रात्रि ! (ते) तेरे लिये (गाः इव) दूध देनेवाली गौ की भाँति-जैसे घास आदि दिया जाता है, वैसे (उप आ अकरम्) होम से उपचार करता हूँ (वृणीष्व) तू इसे अनुकूल बना, हमारे लिये उससे सुखकरी हो (दिवः-दुहितः) सूर्य की कन्या (जिग्युषे) विरोधी को जीतने के इच्छुक के लिये (स्तोमम्-इव) स्तुतिसमूह के समान हव्य देता हूँ, जैसे इष्टदेव को स्तुतिसमूह को अर्पित किया जाता है, वैसे तुझे हव्य पदार्थ देता हूँ, उससे सुवासित हो ॥८॥
Connotation: - रात्रि सूर्य की पुत्री के समान है उसका स्वागत करना चाहिए, होम द्वारा सायं होम करके, रोगादि विरोध पर विजय पाने के लिये ॥८॥
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (रात्रि) हे रात्रे ! (ते गाः-इव-उप आ अकरम्) तुभ्यं दोग्ध्री गो इव घासादिना यथोपकुरुते गोस्वामी तद्वदुपचारं करोमि होमेन (वृणीष्व) त्वमनुकूलं सम्पादयास्मदर्थं तेन ससुखा भव (दिवः दुहितः) सूर्यस्य दुहितः (स्तोमं न जिग्युषे) विरोधिनं जेतुमिच्छुकाय स्तुतिसमूहमिव हव्यं प्रयच्छामि ॥८॥