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यं क्रन्द॑सी॒ अव॑सा तस्तभा॒ने अ॒भ्यैक्षे॑तां॒ मन॑सा॒ रेज॑माने । यत्राधि॒ सूर॒ उदि॑तो वि॒भाति॒ कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥

English Transliteration

yaṁ krandasī avasā tastabhāne abhy aikṣetām manasā rejamāne | yatrādhi sūra udito vibhāti kasmai devāya haviṣā vidhema ||

Pad Path

यम् । क्रन्द॑सी॒ इति॑ । अव॑सा । त॒स्त॒भा॒ने इति॑ । अ॒भि । ऐक्षे॑ताम् । मन॑सा । रेज॑माने । यत्र॑ । अधि॑ । सूरः॑ । उत्ऽइ॑तः । वि॒ऽभाति॑ । कस्मै॑ । दे॒वाय॑ । ह॒विषा॑ । वि॒धे॒म॒ ॥ १०.१२१.६

Rigveda » Mandal:10» Sukta:121» Mantra:6 | Ashtak:8» Adhyay:7» Varga:4» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:6


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (क्रन्दसी) द्युलोक पृथिवीलोक (तस्तभाने) आमने-सामने स्तम्भित हुए (अवसा) रक्षण के हेतु (रेजमाने) काँपते हुए से (मनसा) मन में जैसे (यम्) जिसको (अभि-ऐक्षेताम्) देखते हुए से (यत्र-अधि) जिसके आधार पर (सूरः-उदितः) सूर्य उदय-हुआ (विभाति) प्रकाशित होता है (कस्मै...) पूर्ववत् ॥६॥
Connotation: - परमात्मा ने द्युमण्डल पृथिवीमण्डल को आमने-सामने स्थिर किया है-रखा है और अपने शासन में उन्हें चला रहा है, सूर्य भी उसी के आधार पर उदय होता है, ऐसे सुखस्वरूप प्रजापति के लिये उपहाररूप से अपने आत्मा को समर्पित करना चाहिये ॥६॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (क्रन्दसी) रोदसी-द्यावापृथिव्यौ “क्रन्दसी रोदसी” ‘क्रदि रोदने’ अर्थसाम्यात् रोदसी (तस्तभाने) स्तभिते (अवसा) रक्षणेन रक्षणहेतुना (रेजमाने) कम्पमाने-इव (मनसा) मनसि यथा (यम्-अभि-ऐक्षेताम्) यं खलु पश्यत इव (यत्र-अधि) यस्मिन्-अधि-यस्याधारे वा (सूरः-उदितः-विभाति) सूर्य उदयं गतः प्रकाशते (कस्मै....) पूर्ववत् ॥६॥