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अ॒हं तष्टे॑व व॒न्धुरं॒ पर्य॑चामि हृ॒दा म॒तिम् । कु॒वित्सोम॒स्यापा॒मिति॑ ॥

English Transliteration

ahaṁ taṣṭeva vandhuram pary acāmi hṛdā matim | kuvit somasyāpām iti ||

Pad Path

अ॒हम् । तष्टा॑ऽइव । व॒न्धुर॑म् । परि॑ । अ॒चा॒मि॒ । हृ॒दा । म॒तिम् । कु॒वित् । सोम॑स्य । अपा॑म् । इति॑ ॥ १०.११९.५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:119» Mantra:5 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:5


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (त्वष्टा-इव) शिल्पी की भाँति (बन्धुरम्) जैसे रथ के स्वामी के लिये वह बैठने के स्थान को सब ओर से ठीक प्रकार निर्माण करता है, ऐसे ही (अहम्) मैं (हृदा) हृदय से (मतिम्) मति को-मानसिक शक्ति को (परि-अचामि) सब ओर से ठीक प्रकार सिद्ध करता हूँ (कुवित् सोमस्य अपाम् इति) मैंने परमात्मा के आनन्दरस को बहुत पिया है ॥५॥
Connotation: - शिल्पी जैसे रथस्वामी के बैठने के स्थान को परिष्कृत करता है, ऐसे ही उपासक को अपनी मानसिक शक्ति को हृदय से श्रद्धा से-परिष्कृत करना चाहिये ॥५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (तष्टा-इव बन्धुरम्-अहं हृदा मतिं-परि-अचामि) तष्टा-तक्षकः शिल्पी वा यथा रथिनो निषदनस्थानं परितः साधयति तद्वदहं हृदयेन मतिं-मानसिकशक्तिं परितः साधयामि (कुवित्…) पूर्ववत् ॥५॥