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जर॑माण॒: समि॑ध्यसे दे॒वेभ्यो॑ हव्यवाहन । तं त्वा॑ हवन्त॒ मर्त्या॑: ॥

English Transliteration

jaramāṇaḥ sam idhyase devebhyo havyavāhana | taṁ tvā havanta martyāḥ ||

Pad Path

जर॑माणः । सम् । इ॒ध्य॒से॒ । दे॒वेभ्यः॑ । ह॒व्य॒ऽवा॒ह॒न॒ । तम् । त्वा॒ । ह॒व॒न्त॒ । मर्त्याः॑ ॥ १०.११८.५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:118» Mantra:5 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:5


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (हव्यवाहन) हे ग्रहण करने योग्य वस्तुओं के प्राप्त करानेवाले परमात्मन् ! या होतव्य हवन करने योग्य वस्तु को वहन करनेवाले (जरमाणः) स्तुति में लाया हुआ या प्रशंसित किया हुआ (देवेभ्यः) मुमुक्षुजनों के लिये या भौतिक देवों के लिये (सम् इध्यसे) सम्यक् प्रकाशित होता है या प्रज्वलित होता है (तं त्वा)) उस तुझको (मर्त्याः) मनुष्य (हवन्त) प्रार्थित करते हैं या हवन में उपयुक्त करते हैं ॥५॥
Connotation: - परमात्मा आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करानेवाला है, वह स्तुति में लाया हुआ मुमुक्षुओं के लिये साक्षात् होता है, उसकी स्तुति प्रार्थना सब मनुष्यों को करनी चाहिये एवं अग्नि होम करने योग्य वस्तु को सूक्ष्म करती है और वायु आदि देवों के लिये पहुँचा देती है, इसलिये वायु आदि देवों को अनुकूल बनाने के लिये मनुष्यों को अग्नि में होम करना चाहिये ॥५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (हव्यवाहन) हे हव्यानि आदातव्यानि वस्तूनि वहति प्रापयति तत्सम्बुद्धौ परमात्मन्, यद्वा होतव्यं वहतुमर्ह ! अग्ने ! (जरमाणः) स्तूयमानः सन् प्रशस्यमानः सन् वा (देवेभ्यः सम् इध्यसे) मुमुक्षुभ्यः सम्यक् प्रकाशितो भवसि भौतिकदेवेभ्यो ज्वलितो भवसि वा (तं त्वा मर्त्याः-हवन्त) तं त्वां मनुष्याः प्रार्थयन्ते यद्वा होमे-उपयुञ्जन्ति ॥५॥