Go To Mantra

विश्वे॑ दे॒वासो॒ अध॒ वृष्ण्या॑नि॒ तेऽव॑र्धय॒न्त्सोम॑वत्या वच॒स्यया॑ । र॒द्धं वृ॒त्रमहि॒मिन्द्र॑स्य॒ हन्म॑ना॒ग्निर्न जम्भै॑स्तृ॒ष्वन्न॑मावयत् ॥

English Transliteration

viśve devāso adha vṛṣṇyāni te vardhayan somavatyā vacasyayā | raddhaṁ vṛtram ahim indrasya hanmanāgnir na jambhais tṛṣv annam āvayat ||

Pad Path

विश्वे॑ । दे॒वासः॑ । अध॑ । वृष्ण्या॑नि । ते । अव॑र्धयन् । सोम॑ऽवत्या । व॒च॒स्यया॑ । र॒द्धम् । वृ॒त्रम् । अहि॑म् । इन्द्र॑स्य । हन्म॑ना । अ॒ग्निः । न । जम्भैः॑ । तृ॒षु । अन्न॑म् । आ॒व॒य॒त् ॥ १०.११३.८

Rigveda » Mandal:10» Sukta:113» Mantra:8 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:15» Mantra:3 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:8


Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अधा) आक्रमणकारी शत्रु के नष्ट हो जाने के अनन्तर (ते) हे राजन् ! तेरे (वृष्ण्यानि) वर्षक बलों को (विश्वे देवासः) सारे विद्वान् (सोमवत्या) सुख ऐश्वर्यवाली (वचस्यया) स्तुति करने की इच्छा से-प्रशंसा की इच्छा से (अवर्धयन्) बढ़ाते हैं-उत्साहित करते हैं (इन्द्रस्य) तुझ राजा के (हन्मना) हननसाधन से (रद्धम्) हिंसित (वृत्रम्-अहिम्) आक्रमणकारी हनन करने योग्य शत्रु को (अन्नम्) अन्न (तृषु) शीघ्र (आवयत्) पृथिवी भक्षण करती है विलीन करती है (अग्निः-न) जैसे अग्नि (जम्भैः) नाशक लपटों से किसी भी वस्तु को भक्षण करती है ॥८॥
Connotation: - आक्रमणकारी शत्रु के मारे जाने पर राजा के वर्षक बलों की सब विद्वान् प्रशंसा करते हैं बड़ा आदर करते हैं, राजा के हननसाधन से मरे हुए आक्रमणकारी शत्रु को पृथिवी अन्न बनाकर भक्षण करती है विलीन करती है और अग्नि भी अपनी ज्वालाओं से अन्न बना लेती है ॥८॥
Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अधा) हते वृत्रे दस्यौ (ते) हे राजन् ! तव (वृष्ण्यानि) वर्षकबलानि (विश्वे देवासः) सर्वे विद्वांसः (सोमवत्या वचस्यया-अवर्धयन्) सुखैश्वर्यवत्या स्तवनेच्छया वर्धयन्ति खलूत्साहयन्ति (इन्द्रस्य हन्मना) तव इन्द्रस्य हननसाधनेन (रद्धं वृत्रम्-अहिम्-अन्नं तृषु-आवयत्) हतं वृत्रमावरकं हन्तव्यं शत्रुं खल्वन्नं शीघ्रं पृथिवी भक्षयति विलीनीकरोति (अग्निः-न जम्भैः) यथाऽग्निः स्वनाशकज्वलनैः किमपि वस्तु भक्षयति ॥८॥