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मधु॑मान्नो॒ वन॒स्पति॒र्मधु॑माँ अस्तु॒ सूर्यः॑। माध्वी॒र्गावो॑ भवन्तु नः ॥

English Transliteration

madhumān no vanaspatir madhumām̐ astu sūryaḥ | mādhvīr gāvo bhavantu naḥ ||

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Pad Path

मधु॑ऽमान्। नः॒। वन॒स्पतिः॑। मधु॑ऽमान्। अ॒स्तु॒। सूर्यः॑। माध्वीः॑। गावः॑। भ॒व॒न्तु॒। नः॒ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:90» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर हम लोगों को किसलिए विद्या का अनुष्ठान करना चाहिये ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जैसे (नः) हम लोगों के लिये (मधुमान्) जिसमें प्रशंसित मधुर सुख है, ऐसा (वनस्पतिः) वनों में रक्षा के योग्य वट आदि वृक्षों का समूह वा मेघ और (सूर्यः) ब्रह्माण्डों में स्थिर होनेवाला सूर्य वा शरीरों में ठहरनेवाला प्राण (मधुमान्) जिसमें मधुर गुणों का प्रकाश है, ऐसा (अस्तु) हो तथा (नः) हम लोगों के हित के लिये (गावः) सूर्य को किरणें (माध्वीः) मधुर गुणवाली (भवन्तु) होवें, वैसी तुम लोग हमको शिक्षा करो ॥ ८ ॥
Connotation: - हे विद्वान् लोगो ! तुम और हम आओ मिलके ऐसा पुरुषार्थ करें कि जिससे हम लोगों के सब काम सिद्ध होवें ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरस्माभिः किमर्थं विद्याऽनुष्ठानं कर्त्तव्यमित्युपदिश्यते ॥

Anvay:

भो विद्वांसो ! यथा नोऽस्मभ्यं वनस्पतिर्मधुमान् सूर्यश्च मधुमानस्तु नोऽस्माकं गावो माध्वीर्भवन्तु तथा यूयमस्मान् शिक्षध्वम् ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (मधुमान्) प्रशस्तानि मधूनि सुखानि विद्यन्ते यस्मिन्सः (नः) अस्मदर्थम् (वनस्पतिः) वनानां मध्ये रक्षणीयो वटादिवृक्षसमूहो मेघो वा (मधुमान्) प्रशस्तो मधुरः प्रकाशो विद्यते यस्मिन् सः (अस्तु) भवतु (सूर्यः) ब्रह्माण्डस्थो मार्त्तण्डः शरीरस्थः प्राणो वा (माध्वीः) माध्व्यः (गावः) किरणाः (भवन्तु) (नः) अस्माकं हिताय ॥ ८ ॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! यूयं वयं चेत्थं मिलित्वैवं पुरुषार्थं कुर्याम, येनाऽस्माकं सर्वाणि कार्याणि सिध्येयुः ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वान लोकांनो! तुम्ही व आम्ही मिळून असा पुरुषार्थ करावा की ज्यामुळे आमचे सर्व कार्य सिद्ध व्हावे. ॥ ८ ॥