Go To Mantra

स हि स्व॒सृत्पृष॑दश्वो॒ युवा॑ ग॒णो॒३॒॑या ई॑शा॒नस्तवि॑षीभि॒रावृ॑तः। असि॑ स॒त्य ऋ॑ण॒यावाने॑द्यो॒ऽस्या धि॒यः प्रा॑वि॒ताथा॒ वृषा॑ ग॒णः ॥

English Transliteration

sa hi svasṛt pṛṣadaśvo yuvā gaṇo yā īśānas taviṣībhir āvṛtaḥ | asi satya ṛṇayāvānedyo syā dhiyaḥ prāvitāthā vṛṣā gaṇaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

सः। हि। स्व॒ऽसृत्। पृष॑त्ऽअश्वः। युवा॑। ग॒णः। अ॒या। ई॒शा॒नः। तवि॑षीऽभिः॑। आऽव् ऋतः। असि॑। स॒त्यः। ऋ॒ण॒ऽयावा॑। अने॑द्यः। अ॒स्याः। धि॒यः। प्र॒ऽअ॒वि॒ता। अथ॑। वृषा॑। ग॒णः ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:87» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:13» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर सेनायुक्त सेना का अधीश वीर कैसा होता है, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे सेनापते ! (सः) (हि) वही तू (अया) जिससे सब विद्या जानी जाती हैं, उस बुद्धि से युक्त (वृषाः) शीतल मन्द सुगन्धिपन से सुखरूपी वर्षा करने में समर्थ (गणः) पवनों के समान वेग बलयुक्त (स्वसृत्) अपने लोगों को प्राप्त होनेवाला (पृषदश्वः) वा मेघ के वेग के समान जिसके घोड़े हैं (युवा) तथा जवानी को पहुँचा हुआ (गणः) अच्छे सज्जनों में गिनती करने के योग्य (ईशानः) परिपूर्णसामर्थ्य युक्त (सत्यः) सज्जनों में सीधे स्वभाव वा (ऋणयावा) दूसरों का ऋण चुकानेवाला (अनेद्यः) प्रशंसनीय और (अस्याः) इस (धियः) बुद्धि वा कर्म की (प्राविता) रक्षा करनेहारा (तविषीभिः) परिपूर्णबलयुक्त सेनाओं से (आवृतः) युक्त (असि) है (अथ) इसके अनन्तर हम लोगों के सत्कार करने योग्य भी है ॥ ४ ॥
Connotation: - ब्रह्मचर्य और विद्या से परिपूर्ण शारीरिक और आत्मिक बलयुक्त अपनी सेना से रक्षा को प्राप्त सेनापति सेना की निरन्तर रक्षा करके शत्रुओं को जीतके प्रजा का पालन करे ॥ ४ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सेनायुक्तः सेनापतिर्वीरः कीदृशो भवतीत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे सेनापते ! त्वं ह्यया वृषा गणः स्वसृत्पृषदश्वो युवा गण ईशानः सत्य ऋणयावाऽनेद्योऽस्या धियः प्राविता समस्तविषीभिरावृतोऽस्याथेत्यनन्तरमस्माभिः सत्कर्त्तव्योऽप्यसि ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (सः) (हि) यतः (स्वसृत्) यः स्वान् सरति प्राप्नोति सः (पृषदश्वः) पृषदिव वेगवन्तस्तुरङ्गा यस्य सः (युवा) प्राप्तयुवास्थः (गणः) गणनीयः (अया) एति जानाति सर्वा विद्या यया प्रज्ञया तया। अत्र सुपां सुलुगित्याकारादेशः। (ईशानः) पूर्णसामर्थ्ययुक्तः (तविषीभिः) पूर्णबलयुक्ताभिः सेनाभिः (आवृतः) युक्तः (असि) (सत्यः) सत्सु साधुः (ऋणयावा) य ऋणं याति प्राप्नोति सः (अनेद्यः) प्रशस्यः। अनेद्य इति प्रशस्यनामसु पठितम्। (निघं०३.८) (अस्याः) (धियः) प्रज्ञायाः कर्मणो वा (प्राविता) रक्षणादिकर्त्ता (अथ) आनन्तर्ये (वृषा) सुखवर्षणसमर्थः (गणः) मरुतां समूह इव ॥ ४ ॥
Connotation: - ब्रह्मचर्येण विद्यया पूर्णशरीरात्मबलः स्वसेनया रक्षितः सेनापतिः स्वसेनां सततं रक्ष्य शत्रून् विजित्य प्रजां पालयेत् ॥ ४ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - ब्रह्मचर्य व विद्येने परिपूर्ण, शारीरिक व आत्मिक बलयुक्त, आपल्या सेनेचा रक्षणकर्ता असलेल्या सेनापतीने सेनेचे निरंतर रक्षण करून शत्रूंना जिंकून प्रजेचे पालन करावे. ॥ ४ ॥