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उ॒त वा॒ यस्य॑ वा॒जिनोऽनु॒ विप्र॒मत॑क्षत। स गन्ता॒ गोम॑ति व्र॒जे ॥

English Transliteration

uta vā yasya vājino nu vipram atakṣata | sa gantā gomati vraje ||

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Pad Path

उ॒त। वा॒। यस्य॑। वा॒जिनः॑। अनु॑। विप्र॑म्। अत॑क्षत। सः। गन्ता॑। गोऽम॑ति। व्र॒जे ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:86» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा हो, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - (वाजिनः) उत्तम विज्ञानयुक्त विद्वानो ! तुम (यस्य) जिस क्रियाकुशल विद्वान् (वा) पढ़ानेहारे के समीप से विद्या को प्राप्त हुए (विप्रम्) विद्वान् को (अन्वतक्षत) सूक्ष्म प्रज्ञायुक्त करते हो (सः) वह (गोमति) उत्तम इन्द्रिय विद्या प्रकाशयुक्त (वज्रे) प्राप्त होने के योग्य मार्ग में (उत) भी (गन्ता) प्राप्त होवे ॥ ३ ॥
Connotation: - तीव्रबुद्धि और शिल्पविद्या सिद्ध विमानादि यानों के विना मनुष्य देश-देशान्तर में सुख से जाने-आने को समर्थ नहीं हो सकते, उस कारण अति पुरुषार्थ से विमानादि यानों को यथावत् सिद्ध करें ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे वाजिनो ! यूयं यस्य क्रियाकुशलस्य विदुषो वाऽध्यापकस्य सकाशात् प्राप्तविद्यं विप्रमन्वतक्षत, स गोमति व्रज उत गन्ता भवेत् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (वा) विकल्पे (यस्य) (वाजिनः) प्रशस्तविज्ञानयुक्ताः (अनु) पश्चादर्थे (विप्रम्) मेधाविनम् (अतक्षत) अतिसूक्ष्मां धियं कुर्वन्ति (सः) (गन्ता) (गोमति) प्रशस्ता गाव इन्द्रियाणि विद्यन्ते यस्मिँस्तस्मिन् (व्रजे) व्रजन्ति जना यस्मिंस्तस्मिन् ॥ ३ ॥
Connotation: - तीव्रया बुद्ध्या शिल्पविद्यया च सिद्धैर्विमानादिभिर्विना मनुष्यैर्देशदेशान्तरे सुखेन गन्तुमागन्तुं वा न शक्यते, तस्मादतिपुरुषार्थेनैतानि निष्पादनीयानि ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - तीव्र बुद्धी व शिल्पविद्येने सिद्ध केलेले विमान इत्यादी यानाशिवाय माणसे सुखाने देशदेशांतरी जाण्या-येण्यास समर्थ होऊ शकत नाहीत. त्यासाठी अत्यंत पुुरुषार्थाने विमान इत्यादी यानांना योग्य रीतीने तयार करावे. ॥ ३ ॥