Go To Mantra

गोमा॑तरो॒ यच्छु॒भय॑न्ते अ॒ञ्जिभि॑स्त॒नूषु॑ शु॒भ्रा द॑धिरे वि॒रुक्म॑तः। बाध॑न्ते॒ विश्व॑मभिमा॒तिन॒मप॒ वर्त्मा॑न्येषा॒मनु॑ रीयते घृ॒तम् ॥

English Transliteration

gomātaro yac chubhayante añjibhis tanūṣu śubhrā dadhire virukmataḥ | bādhante viśvam abhimātinam apa vartmāny eṣām anu rīyate ghṛtam ||

Mantra Audio
Pad Path

गोऽमा॑तरः॑। यत्। शु॒भय॑न्ते। अ॒ञ्जिऽभिः॑। त॒नूषु॑। शु॒भ्राः। द॒धि॒रे॒। वि॒रुक्म॑तः। बाध॑न्ते। विश्व॑म्। अ॒भि॒ऽमा॒तिन॑म्। अप॑। वर्त्मा॑नि। ए॒षा॒म्। अनु॑। री॒य॒ते॒। घृ॒तम् ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:85» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:9» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:3


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हों, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्) जो (गोमातरः) पृथिवी समान मातावाले (विरुक्मतः) विशेष अलंकृत (शुभ्राः) शुद्ध स्वभावयुक्त शूरवीर लोग जैसे प्राण (तनूषु) शरीरों में (अञ्जिभिः) प्रसिद्ध विज्ञानादि गुणनिमित्तों से (शुभयन्ते) शुभ कर्मों का आचरण कराके शोभायमान करते हैं, (विश्वम्) जगत् के सब पदार्थों का (अनुदधिरे) अनुकूलता से धारण करते हैं, (एषाम्) इनके संबन्ध से (घृतम्) जल (रीयते) प्राप्त और (वर्त्मानि) मार्गों को जाते हैं, वैसे (अभिमातिनम्) अभिमानयुक्त शत्रुगण का (अपबाधन्ते) बाध करते हैं, उनके साथ तुम लोग विजय को प्राप्त हो ॥ ३ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे वायुओं से अनेक सुख और प्राण के बल से पुष्टि होती है, वैसे ही शुभगुणयुक्त विद्या, शरीर और आत्मा के बलयुक्त सभाध्यक्षों से प्रजाजन अनेक प्रकार के रक्षणों को प्राप्त होते हैं ॥ ३ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते कीदृशा इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यद्ये गोमातरो विरुक्मतः शुभ्रा वीरा यथा मरुतस्तनूष्वञ्जिभिः शुभयन्ते विश्वमनुदधिर एषां सकाशाद् घृतं रीयते वर्त्मानि यान्ति तथाऽभिमातिनमपबाधन्ते तैः सह यूयं विजयं लभध्वम् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (गोमातरः) गौः पृथिवीव माता मानप्रदा येषां वीराणां ते (यत्) ये (शुभयन्ते) शुभमाऽऽचक्षते (अञ्जिभिः) व्यक्तैर्विज्ञानादिगुणनिमित्तैः (तनूषु) विस्तृतबलयुक्तेषु शरीरेषु (शुभ्राः) शुद्धधर्माः (दधिरे) धरन्ति (विरुक्मतः) प्रशस्ता विविधा रुचो दीप्तयो विद्यन्ते येषु ते (बाधन्ते) (विश्वम्) सर्वम् (अभिमातिनम्) शत्रुगणम् (अप) विरुद्धार्थे (वर्त्मानि) मार्गान् (एषाम्) सेनाध्यक्षादीनाम् (अनु) आनुकूल्ये (रीयते) गच्छति (घृतम्) उदकम् ॥ ३ ॥
Connotation: - यथा वायुभिरनेकानि सुखानि प्राणबलेन पुष्टिश्च भवति, तथैव शुभगुणयुक्तविद्याशरीरात्मबलान्वितसभाध्यक्षादिभिः प्रजाजना अनेकानि रक्षणानि लभन्ते ॥ ३ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे वायूमुळे अनेक प्रकारचे सुख मिळते व प्राणाच्या बलाने पुष्टी होते. तसे शुभ गुणयुक्त विद्या, शरीर व आत्मा बलवान असलेल्या सभाध्यक्षाकडून प्रजेचे अनेक प्रकारे रक्षण होते. ॥ ३ ॥