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मा॒दय॑स्व सु॒ते सचा॒ शव॑से शूर॒ राध॑से। वि॒द्मा हि त्वा॑ पुरू॒वसु॒मुप॒ कामा॑न्त्ससृ॒ज्महेऽथा॑ नोऽवि॒ता भ॑व ॥

English Transliteration

mādayasva sute sacā śavase śūra rādhase | vidmā hi tvā purūvasum upa kāmān sasṛjmahe thā no vitā bhava ||

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Pad Path

मा॒दय॑स्व। सु॒ते। सचा॑। शव॑से। शू॒र॒। राध॑से। वि॒द्म। हि। त्वा॒। पु॒रु॒ऽवसु॑म्। उप॑। कामा॑न्। स॒सृ॒ज्महे॑। अथ॑। नः॒। अ॒वि॒ता। भव॒ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:81» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:2» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:13» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह सभापति कैसा हो, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे (शूर) दुष्ट दोष और शत्रुओं का निवारण करनेहारे ! हम (सुते) इस उत्पन्न जगत् में (पुरूवसुम्) बहुतों को बसानेवाले (त्वा) आपका (उप) आश्रय करके (अथ) पश्चात् (कामान्) अपनी कामनाओं को (ससृज्महे) सिद्ध करते हैं (हि) निश्चय करके (विद्म) जानते भी हैं तू (नः) हमारा (अविता) रक्षक (भव) हो और इस जगत् में (सचा) संयुक्त (शवसे) बलकारक (राधसे) धन के लिये (मादयस्व) आनन्द कराया कर ॥ ८ ॥
Connotation: - मनुष्यों को सेनापति के आश्रय के विना शत्रु का विजय, काम की सिद्धि, अपना रक्षण, उत्तम धन, बल और परमसुख प्राप्त नहीं हो सकता ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स सभेशः कीदृशः स्यादित्याह ॥

Anvay:

हे शूर ! वयं सुते पुरुवसुं त्वामुपाश्रित्याथ कामान् ससृज्महे हि विद्म च स त्वं नोऽविता भव सचा शवसे राधसे मादयस्व ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (मादयस्व) आनन्दं प्रापय (सुते) उत्पन्नेऽस्मिन् जगति (सचा) सुखसमवेतेन युक्ताय (शवसे) बलाय (शूर) दुष्टदोषान् शत्रून् वा निवारयितः (राधसे) संसिद्धाय धनाय (विद्म) विजानीमः (हि) खलु (त्वा) त्वाम् (पुरूवसुम्) बहुषु धनेषु वासयितारम् (उप) सामीप्ये (कामान्) मनोभिलषितान् (ससृज्महे) निष्पादयेम (अथ) आनन्तर्ये (नः) अस्माकमस्मान् वा (अविता) रक्षणादिकर्त्ता (भव) ॥ ८ ॥
Connotation: - मनुष्याणां सेनापत्याश्रयेण विना शत्रुविजयः कामसमृद्धिः स्वरक्षणमुत्कृष्टे धनबले परमं सुखं च प्राप्तुं न शक्यते ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी सेनापतीचा आश्रय घेतल्याशिवाय शत्रूंवर विजय, कामाची सिद्धी, स्वतःचे रक्षण, उत्तम धन, बल व परम सुख प्राप्त होऊ शकत नाही. ॥ ८ ॥