Go To Mantra

त्वोतो॑ वा॒ज्यह्र॑यो॒ऽभि पूर्व॑स्मा॒दप॑रः। प्र दा॒श्वाँ अ॑ग्ने अस्थात् ॥

English Transliteration

tvoto vājy ahrayo bhi pūrvasmād aparaḥ | pra dāśvām̐ agne asthāt ||

Mantra Audio
Pad Path

त्वाऽऊ॑तः। वा॒जी। अह्र॑यः। अ॒भि। पूर्व॑स्मात्। अप॑रः। प्र। दा॒श्वान्। अ॒ग्ने॒। अ॒स्था॒त् ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:74» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:5» Varga:22» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:13» Mantra:8


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्यायुक्त ! जैसे (अह्रयः) शीघ्रयान मार्गों को प्राप्त करानेवाले अग्नि आदि (अपरः) और भिन्न देश वा भिन्न कारीगर (त्वोतः) आपसे संगम को प्राप्त हुआ (वाजी) प्रशंसा के योग्य वेगवाला (दाश्वान्) दाता (पूर्वस्मात्) पहले स्थान से (अभि) सन्मुख (प्रास्थात्) देशान्तर को चलानेवाला होता है, वैसे अन्य मन आदि पदार्थ भी हैं, ऐसा तू जान ॥ ८ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को यह जानना चाहिये कि शिल्पविद्यासिद्ध यन्त्रों के विना अग्नि यानों का चलानेवाला नहीं होता ॥ ८ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे अग्ने यथाऽह्रयोऽपरस्त्वोतो वाजी दाश्वान्वा पूर्वस्मादभिसंप्रयुक्तः सन् प्रतिष्ठते प्रस्थितो भवति तथाऽन्ये पदार्थाः सन्तीति विजानीहि ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (त्वोतः) युष्माभिरूतः सङ्गमितः (वाजी) प्रशस्तो वेगोऽस्यास्तीति (अह्रयः) यैः सद्योऽह्नुवन्ति व्याप्नुवन्ति यानानि मार्गांस्ते (अभि) आभिमुख्ये (पूर्वस्मात्) पूर्वाधिकरणस्थात् (अपरः) अन्यो देशोऽन्यः शिल्पी वा (प्र) (दाश्वान्) दाता (अग्ने) विद्वन् (अस्थात्) तिष्ठति ॥ ८ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैर्नहि शिल्पविद्यासिद्धयन्त्रप्रयोगेण विनाग्नियानानां गमयिता भवतीति वेद्यम् ॥ ८ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. माणसांनी हे जाणावे की शिल्पविद्यासिद्ध यंत्राशिवाय अग्नी यानांना चालवीत नसतो. ॥ ८ ॥