उ॒प॒प्र॒यन्तो॑ अध्व॒रं मन्त्रं॑ वोचेमा॒ग्नये॑। आ॒रे अ॒स्मे च॑ शृण्व॒ते ॥
upaprayanto adhvaram mantraṁ vocemāgnaye | āre asme ca śṛṇvate ||
उ॒प॒ऽप्र॒यन्तः॑। अ॒ध्व॒रम्। मन्त्र॑म्। वो॒चे॒म॒। अ॒ग्नये॑। आ॒रे। अ॒स्मे इति॑। च॒। शृ॒ण्व॒ते ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब चौहत्तरवें सूक्त का आरम्भ किया जाता है, इसके प्रथम मन्त्र में ईश्वर के गुणों का उपदेश किया है ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेश्वरगुणा उपदिश्यन्ते ॥
हे मनुष्या ! यथोपप्रयन्तो वयमस्मे आरे च शृण्वतेऽग्नयेऽध्वरं मन्त्रं सततं वोचेम तथा यूयमपि वदत ॥ १ ॥
MATA SAVITA JOSHI
या सूक्तात ईश्वर, विद्वान व विद्युत अग्नीच्या गुणाचे वर्णन असल्यामुळे पूर्वसूक्तार्थाबरोबर या सूक्ताची संगती जाणावी. ॥