इन्द्रो॑ दी॒र्घाय॒ चक्ष॑स॒ आ सूर्यं॑ रोहयद्दि॒वि। वि गोभि॒रद्रि॑मैरयत्॥
indro dīrghāya cakṣasa ā sūryaṁ rohayad divi | vi gobhir adrim airayat ||
इन्द्रः॑। दी॒र्घाय॑। चक्ष॑से॑। आ। सूर्य॑म्। रो॒ह॒य॒त्। दि॒वि। वि। गोभिः॑। अद्रि॑म्। ऐ॒र॒य॒त्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
इसके अनन्तर किसने किसलिये सूर्य्यलोक बनाया है, सो अगले मन्त्र में प्रकाश किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ केन किमर्थः सूर्य्यलोको रचित इत्युपदिश्यते।
इन्द्रः सृष्टिकर्त्ता जगदीश्वरो दीर्घाय चक्षसे यं सूर्य्यलोकं दिव्यारोहयत् सोऽयं गोभिरद्रिं व्यैरयत् वीरयति॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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