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होता॒ निष॑त्तो॒ मनो॒रप॑त्ये॒ स चि॒न्न्वा॑सां॒ पती॑ रयी॒णाम् ॥

English Transliteration

hotā niṣatto manor apatye sa cin nv āsām patī rayīṇām ||

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Pad Path

होता॑। निऽस॑त्तः। मनोः॑। अप॑त्ये। सः। चि॒त्। नु। आ॒सा॒म्। पतिः॑। र॒यी॒णाम् ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:68» Mantra:7 | Ashtak:1» Adhyay:5» Varga:12» Mantra:7 | Mandal:1» Anuvak:12» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर अध्यापक और शिष्य कैसे हों, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - जो (निषत्तः) सर्वत्र स्थित (मनोः) मनुष्य के (अपत्ये) सन्तान में (रयीणाम्) राज्यश्री आदि धनों का (होता) देनेवाला है (सः) वह ईश्वर विद्युत् अग्नि (आसाम्) इन प्रजाओं का (पतिः) पालन करनेवाला है। हे (अमूराः) मूढ़पन आदि गुणों से रहित ज्ञानवाले ! (स्वैः) अपने (दक्षैः) शिक्षा सहित चतुराई आदि गुणों के साथ (तनूषु) शरीरों में वर्त्तमान होते हुए (मिथः) परस्पर (रेतः) विद्या शिक्षारूपी वीर्य का विस्तार करते हुए तुम लोग इस की (समिच्छन्त) अच्छे प्रकार शिक्षा करो (चित्) और तुम सब विद्याओं को (नु) शीघ्र (जानत) अच्छे प्रकार जानो ॥ ४ ॥
Connotation: - मनुष्यों को उचित है कि परस्पर मित्र हो और समग्र विद्याओं को शीघ्र जानकर निरन्तर आनन्द भोगें ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ कीदृशावित्युपदिश्यते ॥

Anvay:

यो निषत्तो मनोरपत्ये रयीणां होताऽस्ति स आसां प्रज्ञानां पतिर्भवेत्। हे अमूराः ! स्वैर्दक्षैर्गुणैः सह तनूषु वर्त्तमानाः सन्तो मिथो रेतो विस्तारयन्तो भवन्त एतं समिच्छन्त चिदपि सर्वा विद्या यूयं नु जानत ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (होता) दाता (निषत्तः) सर्वत्र शुभकर्मसु स्थितस्य (मनोः) विज्ञानवतो मनुष्यस्य (अपत्ये) सन्ताने (सः) विद्वान् (चित्) अपि (नु) सद्यः (आसाम्) प्रजानाम् (पतिः) पालयिता (रयीणाम्) राज्यश्रियादिधनानाम् (इच्छन्त) इच्छन्तु। अत्र व्यत्ययेनात्मनेपदम्। (रेतः) विद्याशिक्षाजं शरीरात्मवीर्य्यम् (मिथः) परस्परं प्रीत्या (तनूषु) विद्यमानेषु शरीरेषु (सम्) सम्यगर्थे (जानत) (स्वैः) आत्मीयैः (दक्षैः) विद्यासुशिक्षाचातुर्य्यगुणैः (अमूराः) अमूढाः। (निरु०६.८) मूढत्वादिगुणरहिता ज्ञानवन्तः। अमूर इति पदनामसु पठितम्। (निघं०४.३) ॥ ४ ॥
Connotation: - मनुष्यैरन्योन्यं सखायो भूत्वाखिलविद्याः शीघ्रं ज्ञात्वा सततमानन्दितव्यम् ॥ ४ ॥