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अ॒भीम॑वन्वन्त्स्वभि॒ष्टिमू॒तयो॑ऽन्तरिक्ष॒प्रां तवि॑षीभि॒रावृ॑तम्। इन्द्रं॒ दक्षा॑स ऋ॒भवो॑ मद॒च्युतं॑ श॒तक्र॑तुं॒ जव॑नी सू॒नृतारु॑हत् ॥

English Transliteration

abhīm avanvan svabhiṣṭim ūtayo ntarikṣaprāṁ taviṣībhir āvṛtam | indraṁ dakṣāsa ṛbhavo madacyutaṁ śatakratuṁ javanī sūnṛtāruhat ||

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Pad Path

अ॒भि। ई॒म्। अ॒व॒न्व॒न्। सु॒ऽअ॒भि॒ष्टिम्। ऊ॒तयः॑। अ॒न्त॒रि॒क्ष॒ऽप्राम्। तवि॑षीभिः। आऽवृ॑तम्। इन्द्र॑म्। दक्षा॑सः। ऋ॒भवः॑। म॒द॒ऽच्युत॑म्। श॒तऽक्र॑तुम्। जव॑नी। सू॒नृता॑। आ। अ॒रु॒ह॒त् ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:51» Mantra:2 | Ashtak:1» Adhyay:4» Varga:9» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:10» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

Word-Meaning: - हे सेनापते ! जिस आपकी (ऊतयः) रक्षा प्रजा का पालन करती हैं (दक्षासः) विज्ञानवृद्ध शीघ्र कार्य को सिद्ध करनेवाले (ऋभवः) मेधावी विद्वान् लोग जिस (स्वभिष्टिम्) उत्तम इष्टियुक्त (अन्तरिक्षप्राम्) अपने तेज से अन्तरिक्ष अर्थात् अवकाश में सबको सुख से पूर्ण करने (मदच्युतम्) हर्षादि को देनेवाले (शतक्रतुम्) अनेक कर्मों के कर्ता (तविषीभिः) बल आकर्षण आदि गुणों से युक्त सेना से (आवृतम्) संयुक्त (इन्द्रम्) बिजुली के सदृश वर्त्तमान आपको (अभ्यवन्वन्) कार्यों को करने के लिये सब प्रकार से वृद्धियुक्त करते हैं जिस को (जवनी) वेगयुक्त (सूनृता) अन्नादि पदार्थों को सिद्ध करने हारी राजनीति (आरुहत्) बढ़ के प्राप्त होवे, उस आपकी रक्षा हम किया करें ॥ २ ॥
Connotation: - धर्मात्मा बुद्धिमान् लोग जिस का आश्रय करें, उसी का शरण ग्रहण सब मनुष्य करें ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे सेनेश ! यस्य तवोतयः प्रजा रक्षन्ति दक्षास ऋभवो यं स्वभिष्टिमन्तरिक्षप्राम्मदच्युतं शतक्रतुं तविषीभिरावृतमिन्द्रं त्वामभ्यवन्वन्नभ्यवन्ति जवनी सूनृताऽरुहत्तं वयमपि सततं रक्षेम ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (अभि) आभिमुख्ये (ईम्) जलमन्नं पृथिवीं वा। ईमित्युदकनामसु पठितम्। (निघं०१.१२) पदनामसु पठितम्। (निघं०४.२) (अवन्वन्) अवन्ति रक्षणादिकं कुर्वन्ति । अत्राऽव धातोः विकरणव्यत्ययेन श्नुः। (स्वभिष्टिम्) शोभना अभिष्टा इष्टयो यस्मात्तम्। अत्र व्यत्ययेन ह्रस्वः। (ऊतयः) रक्षादयः (अन्तरिक्षप्राम्) स्वतेजसान्तरिक्षं प्राप्य प्राति पिपर्ति ताम् (तविषीभिः) बलाकर्षणादिगुणाढ्याभिः सेनाभिः (आवृतम्) संयुक्तम् (इन्द्रम्) सुखानां बिभर्तारं सेनेशम् (दक्षासः) विज्ञानबलवृद्धाः शीघ्रकारिणः (ऋभवः) मेधाविनः (मदच्युतम्) मदा हर्षणादयश्च्युता यस्मात्तम् (शतक्रतुम्) अनेककर्मप्रज्ञायुक्तम् (जवनी) वेगशीला (सूनृता) अन्नादिसमूहकारी राजनीतिः। सूनृता इत्यन्ननामसु पठितम्। (निघं०२.७) (आ) समन्तात् (अरुहत्) रोहेत् ॥ २ ॥
Connotation: - धार्मिका मेधाविनो यस्याश्रयं कुर्य्युस्तस्यैवाश्रयं सर्वे मनुष्या गृह्णीयुः ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - धर्मात्मा बुद्धिमान लोक ज्याचा आश्रय घेतात त्यालाच शरण जाऊन सर्व माणसांनी त्याचा अंगीकार करावा. ॥ २ ॥