इ॒दं नमो॑ वृष॒भाय॑ स्व॒राजे॑ स॒त्यशु॑ष्माय त॒वसे॑ऽवाचि। अ॒स्मिन्नि॑न्द्र वृ॒जने॒ सर्व॑वीराः॒ स्मत्सू॒रिभि॒स्तव॒ शर्म॑न्त्स्याम ॥
idaṁ namo vṛṣabhāya svarāje satyaśuṣmāya tavase vāci | asminn indra vṛjane sarvavīrāḥ smat sūribhis tava śarman syāma ||
इ॒दम्। नमः॑। वृ॒ष॒भाय॑। स्व॒ऽराजे॑। स॒त्यऽशु॑ष्माय। त॒वसे॑। अ॒वा॒चि॒। अ॒स्मिन्। इ॒न्द्र॒। वृ॒जने॑। सर्व॑ऽवीराः। स्मत्। सू॒रिऽभिः॑। तव॑। शर्म॑न्। स्या॒म॒ ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अगले मन्त्र में सभाध्यक्ष के गुणों का उपदेश किया है ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ सभाध्यक्षगुणा उपदिश्यन्ते ॥
हे इन्द्र सभेश ! यथा सूरिभिर्वृषभाय सत्यशुष्माय तवसे स्वराजे जगदीश्वरायेदं नमोऽवाच्युच्यते तथास्मदादिभिरप्युच्यत एवं विधाय वयं तवास्मिन् वृजने शर्मन् स्मत् सुष्ठुतया सर्ववीराः स्याम भवेम ॥ १५ ॥
MATA SAVITA JOSHI
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