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ह॒विषा॑ जा॒रो अ॒पां पिप॑र्ति॒ पपु॑रिर्नरा । पि॒ता कुट॑स्य चर्ष॒णिः ॥

English Transliteration

haviṣā jāro apām piparti papurir narā | pitā kuṭasya carṣaṇiḥ ||

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Pad Path

ह॒विषा॑ । जा॒रः । अ॒पाम् । पिप॑र्ति । पपु॑रिः । न॒रा॒ । पि॒ता । कुट॑स्य । च॒र्ष॒णिः॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:46» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:3» Varga:33» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:9» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (नरा) नीति के सिखाने पढ़ाने और उपदेश करने हारे लोगो ! तुम जैसे (जारः) विभाग कर्त्ता (पपुरिः) अच्छे प्रकार पूर्त्ति (पिता) पालन करने (कुटस्य) कुटिल मार्ग को (चर्षणिः) दिखलाने हारा सूर्य (हविषा) आहुति से बढ़कर (अपाम्) जलों के योग से (पिपर्त्ति) पूरण कर प्रजाओं का पालन करता है वैसे प्रजा का पालन करो ॥४॥
Connotation: - मनुष्यों को योग्य है कि जैसे सविता वर्षा के द्वारा जिलाने के योग्य प्राणी और अप्राणियों को पुष्ट करता है वैसे ही सबको पुष्ट करें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(हविषा) दानाऽऽदानेन (जारः) विभागकर्त्तादित्यः (अपाम्) जलानाम् (पिपर्त्ति) प्रपिपूर्त्ति (पपुरिः) प्रपूरको विद्वान् (नरा) नेतारावध्यापकोपदेशकौ। अत्र सुपांसुलुग् इत्याकारादेशः। (पिता) पालयिता (कुटस्य) कुटिलस्य मार्गस्य सकाशात् (चर्षणिः) दर्शको मनुष्यः। चर्षणिरिति पदना०। निघं० ४।२। इमं मन्त्रं यास्कमुनिरेवं समाचष्टे। हविषाऽपां जारयिता पिपर्त्ति पपुरिरिति पृणाति निगमौ वा प्रीणाति निगमौ वा पिता कृतस्य कर्मणश्च पितादित्यः। निरु०। ५।२४। ॥४॥

Anvay:

पुनः स कीदृशइत्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे नरा ! युवां यथा जारः पपुरिश्च कुटस्य पिता चर्षणिरादित्यो हविषाधिविष्टप्यपां योगेन पिपर्त्ति तथा प्रजाः पालयताम् ॥४॥
Connotation: - मनुष्यो यथा सूर्यो वर्षादिद्वारा प्राण्यप्राणिनः पुष्णाति तथा सर्वान् पुष्येत् ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा सूर्य जीवित प्राण्यांना व अप्राण्यांना पुष्ट करतो तसेच माणसांनी सर्वांना पुष्ट करावे. ॥ ४ ॥