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अ॒भि सू॒यव॑सं नय॒ न न॑वज्वा॒रो अध्व॑ने । पूष॑न्नि॒ह क्रतुं॑ विदः ॥

English Transliteration

abhi sūyavasaṁ naya na navajvāro adhvane | pūṣann iha kratuṁ vidaḥ ||

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Pad Path

अ॒भि । सु॒यव॑सम् । न॒य॒ । न । न॒व॒ज्वा॒रः । अध्व॑ने । पूष॑न् । इ॒ह । क्रतु॑म् । वि॒दः॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:42» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:3» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:8» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसने किसको प्राप्त होना चाहिये, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (पूषन्) सभाध्यक्ष ! इस संसार वा जन्मांतर में (अध्वने) श्रेष्ठ मार्ग के लिये हम लोगों को (सुयवसम्) उत्तम यव आदि ओषधी होनेवाले देश को (अभिनय) सब प्रकार प्राप्त कीजिये और (क्रतुम्) उत्तम कर्म वा प्रज्ञा को (विदः) प्राप्त हूजिये जिससे इस मार्ग में चलके हम लोगों में (नवज्वारः) नवीन-२ सन्ताप (न) न हों ॥८॥
Connotation: - हे सभाध्यक्ष ! आप अपनी कृपा से श्रेष्ठ देश वा उत्तम गुण हम लोगों को दीजिये और सब दुःखों को निवारण कर सुखों को प्राप्त कीजिये, हे सभासेनाध्यक्ष ! विद्वान् लोगों को विनयपूर्वक पालन से विद्या पढ़ाकर इस राज्य में सुख युक्त कीजिये ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(अभि) आभिमुख्ये (सुयवसम्) शोभनो यवाद्योषधिसमूहो यस्मिन्देशे तम्। अत्र अन्येषामपिदृश्यते इति दीर्घः। (नय) प्रापय (न) निषेधार्थे (नवज्वारः) यो नवो नूतनश्चासौ ज्वारः संतापश्च सः (अध्वने) मार्गाय (पूषन्) सभाध्यक्ष (इह) उक्तार्थम् (विदः) प्राप्नुहि ॥८॥

Anvay:

पुनस्तेन किं प्रापणीयमित्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे पूषंस्त्वमिहाऽधवने सुयवसं देशमभिनय तेन मार्गेण क्रतुं विदो येन त्वयि नवज्वारो न भवेत् ॥८॥
Connotation: - हे परमेश्वर ! भवान् स्वकृपया श्रेष्ठदेशं गुणाँश्चास्मभ्यं देहि। सर्वाणि दुःखानि निवार्य्य सुखानि प्रापय हे विद्वन् सभाध्यक्ष ! त्वमस्मान् विनयेन पालयित्वा विद्यां शिक्षयित्वाऽस्मिन्राज्ये सुखयेति ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे परमेश्वरा ! तू तुझ्या कृपेने आम्हाला श्रेष्ठ देश (स्थान) व उत्तम गुण मिळू दे व सर्व दुःखाचे निवारण करून सुख प्राप्त करून दे. हे विद्वान सभासेनाध्यक्षा तू विद्वानांचे पालन करून व विद्या शिकवून या राज्याला सुखी कर. ॥ ८ ॥