स्तो॒त्रं रा॑धानां पते॒ गिर्वा॑हो वीर॒ यस्य॑ ते। विभू॑तिरस्तु सू॒नृता॑॥
stotraṁ rādhānām pate girvāho vīra yasya te | vibhūtir astu sūnṛtā ||
स्तो॒त्रम्। रा॒धा॒ना॒म्। प॒ते॒। गिर्वा॑हः। वी॒र॒। यस्य॑। ते॒। विऽभू॑तिः। अ॒स्तु॒। सु॒नृता॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अगले मन्त्र में इन्द्र शब्द से सभा वा सेना के स्वामी का उपदेश किया है॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेन्द्रशब्देन सभासेनाध्यक्ष उपदिश्यते॥
हे गिर्वाहो वीर राधानां पते सभासेनाध्यक्ष विद्वन् ! यस्य ते तव सूनृता विभूतिरस्ति तस्य तव सकाशादस्माभिर्गृहीतं स्तोत्रं नोऽस्माकं प्रदाय शुष्मिणेऽस्तु॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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