आश्वि॑ना॒वश्वा॑वत्ये॒षा या॑तं॒ शवी॑रया। गोम॑द्दस्रा॒ हिर॑ण्यवत्॥
āśvināv aśvāvatyeṣā yātaṁ śavīrayā | gomad dasrā hiraṇyavat ||
आ। अ॒श्वि॒नौ॒। अश्व॑ऽवत्या। इ॒षा। या॒त॒म्। शवी॑रया। गोऽम॑त्। द॒स्रा॒। हिर॑ण्यऽवत्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वे कैसे हों, इसका अगले मन्त्र में प्रकाश किया है॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तौ कीदृशौ स्त इत्युपदिश्यते॥
हे विद्याक्रियाकुशलौ विद्वांसौ शिल्पिनौ दस्रावश्विनौ सभासेनास्वामिनौ द्यावापृथिव्याविवेषाभीष्टयाऽश्ववत्या शवीरया गत्या हिरण्यवद् गोमद् यानमायातं समन्ताद्देशान्तरं प्रापयतम्॥१७॥
MATA SAVITA JOSHI
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