वेद॒ वात॑स्य वर्त॒निमु॒रोर्ऋ॒ष्वस्य॑ बृह॒तः। वेदा॒ ये अ॒ध्यास॑ते॥
veda vātasya vartanim uror ṛṣvasya bṛhataḥ | vedā ye adhyāsate ||
वेद॑। वात॑स्य। व॒र्त॒निम्। उ॒रोः। ऋ॒ष्वस्य॑। बृ॒ह॒तः। वेद॑। ये। अ॒धि॒ऽआस॑ते॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह क्या-क्या जानता है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स किं किं जानातीत्युपदिश्यते
यो मनुष्य ऋष्वस्योरोर्बृहतो वातस्य वर्त्तनिं वेद जानीयात्, येऽत्र पदार्था अध्यासते तेषां च वर्त्तनिं वेद, स खलु भूखगोलगुणविज्जायते॥९॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A