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पू॒षा राजा॑न॒माघृ॑णि॒रप॑गूळ्हं॒ गुहा॑ हि॒तम्। अवि॑न्दच्चि॒त्रब॑र्हिषम्॥

English Transliteration

pūṣā rājānam āghṛṇir apagūḻhaṁ guhā hitam | avindac citrabarhiṣam ||

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Pad Path

पू॒षा। राजा॑नम्। आघृ॑णिः। अप॑ऽगूळ्हम्। गुहा॑। हि॒तम्। अवि॑न्दत्। चि॒त्रऽब॑र्हिषम्॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:23» Mantra:14 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:10» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अगले मन्त्र में पूषन् शब्द से ईश्वर की सर्वज्ञता का प्रकाश किया है-

Word-Meaning: - जिससे यह (आघृणिः) पूर्ण प्रकाश वा (पूषा) जो अपनी व्याप्ति से सब पदार्थों को पुष्ट करता है, वह जगदीश्वर (गुहा) (हितम्) आकाश वा बुद्धि में यथायोग्य स्थापन किये हुए वा स्थित (चित्रबर्हिषम्) जो अनेक प्रकार के कार्य्य को करता (अपगूढम्) अत्यन्त गुप्त (राजानम्) प्रकाशमान प्राणवायु और जीव को (अविन्दत्) जानता है, इससे वह सर्वशक्तिमान् है॥१४॥
Connotation: - जिस कारण जगत् का रचनेवाला ईश्वर सबको पुष्ट करने हारे हृदस्यस्थ प्राण और जीव को जानता है, इससे सबका जाननेवाला है॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ पूषन् शब्देनेश्वरस्य सर्वज्ञताप्रकाशः क्रियते॥

Anvay:

यतोऽयमाघृणिः पूषा परमेश्वरो गुहाहितं चित्रबर्हिषमपगूढं राजानमविन्दत्, जानाति तस्मात् सर्वशक्तिमान् वर्त्तते॥१४॥

Word-Meaning: - (पूषा) यो जगदीश्वरः स्वाभिव्याप्त्या सर्वान् पदार्थान् पोषयति सः (राजानम्) प्राणं जीवं वा (आघृणिः) समन्ताद् घृणयो दीप्तयो यस्य सः (अपगूढम्) अपगतश्चासौ गूढश्च तम् (गुहा) गुहायामन्तरिक्षे बुद्धौ वा। अत्र सुपां सुलुग्० इति ङेराकारादेशः। (हितम्) स्थापितं वा (अविन्दत्) जानाति। अत्र लडर्थे लङ् (चित्रबर्हिषम्) चित्रमनेकविधं बर्हिरुत्तमं कर्म क्रियते येन तम्॥१४॥
Connotation: - यतो जगत्स्रष्टेश्वरः प्रकाशमानं सर्वस्य पुष्टिहेतुं हृदयस्थं प्राणं जीवं चापि जानाति तस्मात् सर्वज्ञोऽस्ति॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - कारणापासून जगाची निर्मिती करणारा ईश्वर सर्वांना पुष्ट करणारा असून, हृदयस्थ प्राण व जीवाला जाणतो. त्यामुळे सर्वांना जाणणारा आहे. ॥ १४ ॥