विष्णोः॒ कर्मा॑णि पश्यत॒ यतो॑ व्र॒तानि॑ पस्प॒शे। इन्द्र॑स्य॒ युज्यः॒ सखा॑॥
viṣṇoḥ karmāṇi paśyata yato vratāni paspaśe | indrasya yujyaḥ sakhā ||
विष्णोः॑। कर्मा॑णि। प॒श्य॒त॒। यतः॑। व्र॒तानि॑। प॒स्प॒शे। इन्द्र॑स्य। युज्यः॑। सखा॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर व्यापक परमेश्वर के किये हुए कर्म मनुष्य नित्य देखें, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तत्कृतानि कर्म्माणि मनुष्येण नित्यं द्रष्टव्यानीत्युपदिश्यते।
हे मनुष्या यूयं य इन्द्रस्य युज्यः सखास्ति, यतो जीवो व्रतानि पस्पशे स्पृशति, तस्य विष्णोः कर्माणि पश्यत॥१९॥
MATA SAVITA JOSHI
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