स्यो॒ना पृ॑थिवि भवानृक्ष॒रा नि॒वेश॑नी। यच्छा॑ नः॒ शर्म॑ स॒प्रथः॑॥
syonā pṛthivi bhavānṛkṣarā niveśanī | yacchā naḥ śarma saprathaḥ ||
स्यो॒ना। पृ॒थि॒वि॒। भ॒व॒। अ॒नृ॒क्ष॒रा। नि॒ऽवेश॑नी। यच्छ॑। नः॒। शर्म॑। स॒ऽप्रथः॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
यह भूमि किसलिये और कैसी है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
इयं भूमिः किमर्था कीदृशी चेत्युपदिश्यते।
येयं पृथिवी स्योनाऽनृक्षरा निवेशनी भवति सा नोऽस्मभ्यं सप्रथः शर्म्म यच्छ प्रयच्छति॥१५॥
MATA SAVITA JOSHI
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