इ॒हेन्द्रा॒णीमुप॑ ह्वये वरुणा॒नीं स्व॒स्तये॑। अ॒ग्नायीं॒ सोम॑पीतये॥
ihendrāṇīm upa hvaye varuṇānīṁ svastaye | agnāyīṁ somapītaye ||
इ॒ह। इ॒न्द्रा॒णीम्। उप॑। ह्व॒ये॒। व॒रु॒णा॒नीम्। स्व॒स्तये॑। अ॒ग्नायी॑म्। सोम॑ऽपीतये॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वे कैसी देवपत्नी हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्ताः कीदृश्यो देवपत्न्य इत्युपदिश्यते।
मनुष्या यथाहमिह स्वस्तये सोमपीतय इन्द्राणीं वरुणानीमग्नायीमिव स्त्रियमुपह्वये तथा भवद्भिरपि सर्वैरनुष्ठेयम्॥१२॥
MATA SAVITA JOSHI
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