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ये म॒हो रज॑सो वि॒दुर्विश्वे॑ दे॒वासो॑ अ॒द्रुहः॑। म॒रुद्भि॑रग्न॒ आ ग॑हि॥

English Transliteration

ye maho rajaso vidur viśve devāso adruhaḥ | marudbhir agna ā gahi ||

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Pad Path

ये। म॒हः। रज॑सः। वि॒दुः। विश्वे॑। दे॒वासः॑। अ॒द्रुहः॑। म॒रुत्ऽभिः॑। अ॒ग्ने॒। आ। ग॒हि॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:19» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:36» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अगले मन्त्र में अग्निशब्द से ईश्वर और भौतिक अग्नि के गुणों का उपदेश किया है-

Word-Meaning: - (ये) जो (अद्रुहः) किसी से द्रोह न रखनेवाले (विश्वे) सब (देवासः) विद्वान् लोग हैं, जो कि (मरुद्भिः) पवन और अग्नि के साथ संयोग में (महः) बड़े-बड़े (रजसः) लोकों को (विदुः) जानते हैं, वे ही सुखी होते हैं। हे (अग्ने) स्वयंप्रकाश होनेवाले परमेश्वर ! आप (मरुद्भिः) पवनों के साथ (आगहि) विदित हूजिये, और जो आपका बनाया हुआ (अग्ने) सब लोकों का प्रकाश करनेवाला भौतिक अग्नि है, सो भी आपकी कृपा से (मरुद्भिः) पवनों के साथ कार्य्यसिद्धि के लिये (आगहि) प्राप्त होता है॥३॥
Connotation: - जो विद्वान् लोग अग्नि से आकर्षण वा प्रकाश करके तथा पवनों से चेष्टा करके धारण किये हुए लोक हैं, उनको जानकर उनसे कार्य्यों में उपयोग लेने को जानते हैं, वे ही अत्यन्त सुखी होते हैं॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निशब्देनैतयोर्गुणा उपदिश्यन्ते।

Anvay:

येऽद्रुहो विश्वेदेवासो विद्वांसो मरुद्भिरग्निना च संयुगे महो रजसो विदुस्त एव सुखिनः स्युः। हे अग्ने ! यस्त्वं मरुद्भिः सहागहि विदितो भवसि तेन त्वया योऽग्निर्निर्मितः मरुद्भिरेव कार्य्यार्थमागच्छति प्राप्तो भवति॥३॥

Word-Meaning: - (ये) मनुष्याः (महः) महसः। अत्र सुपां सुलुग्० इति शसो लुक्। (रजसः) लोकान्। यास्कमुनी रजःशब्दमेवं व्याख्यातवान्-रजो रजतेर्ज्योती रज उच्यत उदकं रज उच्यते लोका रजांस्युच्यन्तेऽसृगहनी रजसी उच्येते। (निरु०४.१९) (विदुः) जानन्ति (विश्वे) सर्वे (देवासः) विद्वांसः। अत्र आज्जसेरसुग्० इत्यसुगागमः। (अद्रुहः) द्रोहरहिताः (मरुद्भिः) वायुभिः सह (अग्ने) स्वयंप्रकाश ! सर्वलोकप्रकाशकोऽग्निर्वा (आ) समन्तात् (गहि) गच्छ गच्छति वा॥३॥
Connotation: - ये विद्वांसोऽग्निनाकृष्य प्रकाश्य मरुद्भिश्चेष्टयित्वा धारिता लोकाः सन्ति, तान् सर्वान् विदित्वा कार्य्येषूपयोक्तुं जानन्ति, ते सुखिनो भवन्तीति॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान लोक अग्नीने आकर्षित केलेल्या, प्रकाशित केलेल्या व वायूच्या गतीने धारण केलेल्या गोलांना जाणतात व त्यांचा कार्यात उपयोग करून घेणे जाणतात, तेच अत्यंत सुखी होतात. ॥ ३ ॥