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अग्ने॒ त्वं पा॑रया॒ नव्यो॑ अ॒स्मान्त्स्व॒स्तिभि॒रति॑ दु॒र्गाणि॒ विश्वा॑। पूश्च॑ पृ॒थ्वी ब॑हु॒ला न॑ उ॒र्वी भवा॑ तो॒काय॒ तन॑याय॒ शं योः ॥

English Transliteration

agne tvam pārayā navyo asmān svastibhir ati durgāṇi viśvā | pūś ca pṛthvī bahulā na urvī bhavā tokāya tanayāya śaṁ yoḥ ||

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Pad Path

अग्ने॑। त्वम्। पा॒र॒य॒। नव्यः॑। अ॒स्मान्। स्व॒स्तिऽभिः॑। अति॑। दुः॒ऽगाणि॑। विश्वा॑। पूः। च॒। पृ॒थ्वी। ब॒हु॒ला। नः॒। उ॒र्वी। भव॑। तो॒काय॑। तन॑याय। शम्। योः ॥ १.१८९.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:189» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) परमेश्वर ! (त्वम्) आप (स्वस्तिभिः) सुखों से (अस्मान्) हम लोगों को (विश्वा) समस्त (अति दुर्गाणि) अत्यन्त दुर्ग के व्यवहारों को (पारय) पार कीजिये। जैसे (नव्यः) नवीन विद्वान् और (पूः) पुररूप (बहुला) बहुत पदार्थों को लेनेवाली (उर्वी) विस्तृत (पृथ्वी, च) भूमि भी है वैसे (नः) हमारे (तोकाय) अत्यन्त छोटे और (तनयाय) कुछ बड़े बालक के लिये (शं, योः) सुख को प्राप्त करानेवाले (भव) हूजिये ॥ २ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे परमेश्वर पुण्यात्मा जनों को दुष्ट आचार से अलग रखता और पृथिवी के समान पालना करता है, वैसे विद्वान् जन सुन्दर शिक्षा से उत्तम कर्म करनेवालों को दुष्ट आचरण से अलग कर सुन्दर व्यवहार से रक्षा करता है ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे अग्ने त्वं स्वस्तिभिरस्मान् विश्वानि दुर्गाणि पारय यथा नव्यो पूर्बहुला उर्वी पृथ्वी चाऽस्ति तथा नोऽस्माकं तोकाय तनयाय शं योर्भव ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (अग्ने) परमेश्वर (त्वम्) (पारय) दुःखाचारात् पृथक्कृत्वा श्रेष्ठाचारं नय। अत्राऽन्येषामपीति दीर्घः। (नव्यः) नव एव नव्यः (अस्मान्) (स्वस्तिभिः) सुखैः (अति) (दुर्गाणि) दुःखेन गन्तुं योग्यानि (विश्वा) सर्वाणि (पूः) पुररूपा (च) (पृथ्वी) भूमिः (बहुला) या बहून् पदार्थान् लाति सा (नः) अस्माकम् (उर्वी) विस्तीर्णा (भव) अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (तोकाय) अतिबालकाय (तनयाय) कुमाराय (शम्) सुखम् (योः) प्रापकः ॥ २ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा परमेश्वरः पुण्यात्मनो दुष्टाचारात् पृथग् रक्षति पृथिवीवत् पालयति तथा विद्वान् सुशिक्षया सुकर्मिणो दुष्टाचारात् पृथक् कृत्वा सुव्यवहारेण रक्षति ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा परमेश्वर पुण्यात्म्यांना दुष्ट आचरणापासून पृथक ठेवतो व पृथ्वीप्रमाणे पालन करतो तसा विद्वान चांगल्या शिक्षणाने उत्तम कर्म करणाऱ्यांना दुष्ट आचरणापासून पृथक ठेवून चांगल्या व्यवहाराद्वारे रक्षण करतो. ॥ २ ॥