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तव॒ त्ये पि॑तो॒ दद॑त॒स्तव॑ स्वादिष्ठ॒ ते पि॑तो। प्र स्वा॒द्मानो॒ रसा॑नां तुवि॒ग्रीवा॑ इवेरते ॥

English Transliteration

tava tye pito dadatas tava svādiṣṭha te pito | pra svādmāno rasānāṁ tuvigrīvā iverate ||

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Pad Path

तव॑। त्ये। पि॒तो॒ इति॑। दद॑तः। तव॑। स्वा॒दि॒ष्ठ॒। ते। पि॒तो॒ इति॑। प्र। स्वा॒द्मानः॑। रसा॑नाम्। तु॒वि॒ग्रीवाः॑ऽइव। ई॒र॒ते॒ ॥ १.१८७.५

Rigveda » Mandal:1» Sukta:187» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:6» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (पितो) अन्नव्यापी पालक परमात्मन् ! (ददतः) देते हुए (तव) आपके जो अन्न वा (त्ये) वे पूर्वोक्त रस हैं। हे (स्वादिष्ठ) अतीव स्वादुयुक्त (पितो) पालक अन्नव्यापक परमात्मन् (तव) आपके उस अन्न के सहित (ते) वे रस (रसानाम्) मधुरादि रसों के बीच (स्वाद्मानः) अतीवस्वादु (तुविग्रीवाइव) जिनका प्रबल गला उन जीवों के समान (प्रेरते) प्रेरणा देते अर्थात् जीवों को प्रीति उत्पन्न कराते हैं ॥ ५ ॥
Connotation: - सब पदार्थों में व्याप्त परमात्मा ही सभों के लिये अन्नादि पदार्थों को अच्छे प्रकार देता है और उसके किये हुए ही पदार्थ अपने गुणों के अनुकूल कोई अतीव स्वादु और कोई अतीव स्वादुतर हैं, यह सबको जानना चाहिये ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे पितो ददतस्तव त्ये पूर्वोक्ता रसाः सन्ति। हे स्वादिष्ठ पितो तव ते रसा रसानां मध्ये स्वाद्मानस्तुविग्रीवाइव प्रेरते जीवानां प्रीतिं जनयन्ति ॥ ५ ॥

Word-Meaning: - (तव) (त्ये) ते (पितो) अन्नव्यापिन् पालकेश्वर (ददतः) (तव) (स्वादिष्ठ) अतिशयेन स्वादितः (ते) तस्य (पितो) (प्र) (स्वाद्मानः) स्वादिष्ठाः (रसानाम्) मधुरादीनाम् (तुविग्रीवाइव) तुवि बलिष्ठा ग्रीवा येषान्ते (ईरते) प्राप्नुयुः ॥ ५ ॥
Connotation: - सर्वपदार्थव्यापकः परमात्मैव सर्वेभ्योऽन्नादिपदार्थान् प्रयच्छत तत्कृता एव पदार्थाः स्वगुणानुकूलाः केचित् स्वादिष्ठाः केचिच्च स्वादुतरास्सन्तीति सर्वैर्वेदितव्यम् ॥ ५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - सर्व पदार्थात व्याप्त परमात्माच सर्वांसाठी अन्न इत्यादी पदार्थ चांगल्या प्रकारे देतो व त्याने दिलेले पदार्थ आपापल्या गुणानुकूल असतात त्यात एखादा मधुर तर एखादा अत्यंत मधुरतर असतो हे सर्वांनी जाणले पाहिजे. ॥ ५ ॥