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ए॒ष वां॒ स्तोमो॑ अश्विनावकारि॒ माने॑भिर्मघवाना सुवृ॒क्ति। या॒तं व॒र्तिस्तन॑याय॒ त्मने॑ चा॒गस्त्ये॑ नासत्या॒ मद॑न्ता ॥

English Transliteration

eṣa vāṁ stomo aśvināv akāri mānebhir maghavānā suvṛkti | yātaṁ vartis tanayāya tmane cāgastye nāsatyā madantā ||

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Pad Path

ए॒षः। वा॒म्। स्तोमः॑। अ॒श्वि॒नौ॒। अ॒का॒रि॒। माने॑भिः। म॒घ॒ऽवा॒ना॒। सु॒ऽवृ॒क्ति। या॒तम्। व॒र्तिः। तन॑याय। त्मने॑। च॒। अ॒गस्त्ये॑। ना॒स॒त्या॒। मद॑न्ता ॥ १.१८४.५

Rigveda » Mandal:1» Sukta:184» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:1» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अध्यापक और उपदेशकों की प्रशंसा का विषय अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (मघवाना) परमपूजित अध्यापकोपदेशको ! (एषः) यह (वाम्) तुम दोनों की (स्तोमः) प्रशंसा (मानेभिः) जो मानते हैं उन्होंने (सुवृक्ति) सुन्दर त्याग जैसे हो वैसे (अकारि) की है अर्थात् कुछ मुखदेखी मिथ्या प्रशंसा नहीं की। और हे (नासत्या) सत्य में निरन्तर स्थिर रहनेवाले (अश्विनौ) अध्यापक उपदेशक लोगो ! (अगस्त्ये) अपराधरहित मार्ग में (मदन्ता) शुभ कामना करते हुए तुम (तनयाय) उत्तम सन्तान और (त्मने, च) अपने लिये (वर्त्तिः) अच्छे मार्ग को (यातम्) प्राप्त होओ ॥ ५ ॥
Connotation: - वही स्तुति होती है, जिनको विद्वान् जन मानते हैं, वैसी ही परोपकार होता है, जैसा अपने सन्तान और अपने लिये चाहा जाता है और वही धर्ममार्ग हो कि जिसमें श्रेष्ठ धर्मात्मा विद्वान् जन चलते हैं ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाध्यापकोपदेशकप्रशंसाविषयमाह।

Anvay:

हे मघवानाध्यापकोपदेशकौ एष वां स्तोमो मानेभिः सुवृक्त्यकारि। हे नासत्याश्विनावगस्त्ये मदन्ता युवां तनयाय त्मने च वर्त्तिर्यातं प्राप्नुतम् ॥ ५ ॥

Word-Meaning: - (एषः) (वाम्) युवयोः (स्तोमः) प्रशंसा (अश्विनौ) अध्यापकोपदेशकौ (अकारि) क्रियते (मानेभिः) ये मन्यन्ते तैर्विद्वद्भिः (मघवाना) परमपूजितधनयुक्तो (सुवृक्ति) सुष्ठुवृक्तिर्वर्जनं सुवृक्ति यथा तथा (यातम्) प्राप्नुतम् (वर्त्तिः) सन्मार्गम् (तनयाय) सुसन्तानाय (त्मने) स्वात्मने (च) (अगस्त्ये) अपराधरहिते मार्गे (नासत्या) सत्यनिष्ठौ (मदन्ता) कामयमानौ ॥ ५ ॥
Connotation: - सैव स्तुतिर्भवति यां विद्वांसो मन्यन्ते तथैव परोपकारः स्याद्यादृशः स्वापत्याय स्वात्मने चेष्यते स एव धर्ममार्गो भवेद्यत्राप्ता गच्छन्ति ॥ ५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - तीच स्तुती असते जिला विद्वान लोक मानतात तसाच परोपकार असतो जसा आपल्यासाठी व आपल्या संतानासाठी इच्छिला जातो व तोच धर्ममार्ग असतो ज्या मार्गाने श्रेष्ठ विद्वान लोक जातात. ॥ ५ ॥