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यु॒वमे॒तं च॑क्रथु॒: सिन्धु॑षु प्ल॒वमा॑त्म॒न्वन्तं॑ प॒क्षिणं॑ तौ॒ग्र्याय॒ कम्। येन॑ देव॒त्रा मन॑सा निरू॒हथु॑: सुपप्त॒नी पे॑तथु॒: क्षोद॑सो म॒हः ॥

English Transliteration

yuvam etaṁ cakrathuḥ sindhuṣu plavam ātmanvantam pakṣiṇaṁ taugryāya kam | yena devatrā manasā nirūhathuḥ supaptanī petathuḥ kṣodaso mahaḥ ||

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Pad Path

यु॒वम्। ए॒तम्। च॒क्र॒तुः॒। सिन्धु॑षु। प्ल॒वम्। आ॒त्म॒न्ऽवन्त॑म्। प॒क्षिण॑म्। तौ॒ग्र्याय॑। कम्। येन॑। दे॒व॒ऽत्रा। मन॑सा। निःऽऊ॒हथुः॑। सु॒ऽप॒प्त॒नि। पे॒त॒थुः॒। क्षोद॑सः। म॒हः ॥ १.१८२.५

Rigveda » Mandal:1» Sukta:182» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:27» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रकरणगत विषय में नौका और विमानादि बनाने के विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे उक्त गुणवाले अध्यापकोपदेशको ! (युवम्) तुम (सिन्धुषु) नदी वा समुद्रों में (तौग्र्याय) बलवानों में प्रसिद्ध हुए जन के लिये (एतम्) इस (आत्मन्वन्तम्) अपने जनों से युक्त (पक्षिणम्) और पक्ष जिसमें विद्यमान ऐसे (कम्) सुखकारी (प्लवम्) उस नौकादि यान को जिससे पार-अवार अर्थात् इस पार उस पार जाते हैं (चक्रथुः) सिद्ध करो कि (येन) जिससे (देवत्रा) देवों में (मनसा) विज्ञान के साथ (सुपप्तनी) जिनका सुन्दर गमन है वे आप (निरूहथुः) निरन्तर उस नौकादि यान को बहाइये और (महः) बहुत (क्षोदसः) जल के (पेतथुः) पार जावें ॥ ५ ॥
Connotation: - जो जन लम्बी, चौड़ी, ऊँची नावों को रच के समुद्र के बीच जाना-आना करते हैं, वे आप सुखी होकर औरों को सुखी करते हैं ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रकृतविषये नौकाविमानादिनिर्माणविषयमाह ।

Anvay:

हे अश्विना युवं युवां सिन्धुषु तौग्र्यायैतमात्मन्वन्तं पक्षिणं कं प्लवं चक्रथुः। येन देवत्रा मनसा सुपप्तनी निरूहथुर्महः क्षोदसः पेतथुः ॥ ५ ॥

Word-Meaning: - (युवम्) (एतम्) (चक्रथुः) कुर्य्यातम् (सिन्धुषु) नदीषु समुद्रेषु वा (प्लवम्) प्लवन्ते पारावारौ गच्छन्ति येन तं नौकादिकम् (आत्मन्वन्तम्) स्वकीयजनयुक्तम् (पक्षिणम्) पक्षौ विद्यन्ते यस्मिंस्तम् (तौग्र्याय) तुग्रेषु बलिष्ठेषु भवाय (कम्) सुखकारिणम् (येन) (देवत्रा) देवेष्विति (मनसा) विज्ञानेन (निरूहथुः) नितरां वाहयेतम् (सुपप्तनी) शोभनं पतनं गमनं ययोस्तौ (पेतथुः) पतेतम् (क्षोदसः) जलस्य (महः) महतः ॥ ५ ॥
Connotation: - ये विस्तीर्णा दृढा नावो रचयित्वा समुद्रस्य मध्ये गमनाऽगमने कुर्वन्ति ते स्वयं सुखिनो भूत्वाऽन्यान् सुखयन्ति ॥ ५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे लोक विस्तीर्ण नावा तयार करून समुद्रात जाणे-येणे करतात ते स्वतः सुखी होऊन इतरांना सुखी करतात. ॥ ५ ॥