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आ वां॒ रथो॒ऽवनि॒र्न प्र॒वत्वा॑न्त्सृ॒प्रव॑न्धुरः सुवि॒ताय॑ गम्याः। वृष्ण॑: स्थातारा॒ मन॑सो॒ जवी॑यानहम्पू॒र्वो य॑ज॒तो धि॑ष्ण्या॒ यः ॥

English Transliteration

ā vāṁ ratho vanir na pravatvān sṛpravandhuraḥ suvitāya gamyāḥ | vṛṣṇaḥ sthātārā manaso javīyān ahampūrvo yajato dhiṣṇyā yaḥ ||

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Pad Path

आ। वा॒म्। रथः॑। अ॒वनिः॑। न। प्र॒वत्वा॑न्। सृ॒प्रऽव॑न्धुरः। सु॒वि॒ताय॑। ग॒म्याः॒। वृष्णः॑। स्था॒ता॒रा॒। मन॑सः। जवी॑यान्। अ॒ह॒म्ऽपू॒र्वः। य॒ज॒तः। धि॒ष्ण्या॒। यः ॥ १.१८१.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:181» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (स्थातारा) स्थिर होनेवाले (धिष्ण्या) धृष्टप्रगल्भ अध्यापक और उपदेशको ! (यः) जो (वाम्) तुम्हारा (अवनिः) पृथिवी के (न) समान (प्रवत्वान्) जिसमें प्रशस्त वेगादि गुण विद्यमान (सृप्रवन्धुरः) जो मिले हुए बन्धनों से युक्त (मनसः) मन से भी (जवीयान्) अत्यन्त वेगवान् (अहंपूर्वः) यह मैं हूँ इस प्रकार आत्मज्ञान से पूर्ण (यजतः) मिला हुआ (रथः) रथ (सुविताय) ऐश्वर्य्य के लिये होता है जिसमें (वृष्णः) बलवान् (आ, गम्याः) चलाने को योग्य अग्न्यादि पदार्थ अच्छे प्रकार जोड़े जाते हैं, उसको मैं सिद्ध करूँ ॥ ३ ॥
Connotation: - मनुष्यों से जो ऐश्वर्य्य की उन्नति के लिये पृथिवी के तुल्य वा मन के वेग तुल्य वेगवान् यान बनाये जाते हैं, वे यहाँ स्थिर सुख देनेवाले होते हैं ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे स्थातारा धिष्ण्या यो वामवनिर्न प्रवत्वान् सृप्रवन्धुरो मनसो जवीयान् अहंपूर्वो यजतो रथः सुविताय भवति यत्र वृष्ण आगम्याः प्रयुज्यन्ते तमहं साध्नुयाम ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (वाम्) युवयोः (रथः) यानम् (अवनिः) पृथिवी (न) इव (प्रवत्वान्) प्रशस्ता प्रवतो वेगादयो गुणा विद्यन्ते यस्मिन् (सृप्रवन्धुरः) सृप्रैः सङ्गतैर्वन्धुरैर्बन्धनैर्युक्तः (सुविताय) ऐश्वर्याय (गम्याः) गमयितुं योग्याः (वृष्णाः) बलवतः (स्थातारा) स्थातारो (मनसः) (जवीयान्) अतिशयेन वेगवान् (अहंपूर्वः) अयमहमित्यात्मज्ञानेन पूर्णः (यजतः) सङ्गतः (धिष्ण्या) धिष्णौ प्रगल्भौ (यः) ॥ ३ ॥
Connotation: - मनुष्यैरैश्वर्य्योन्नतये पृथिवीवन्मनोवेगद्वेगवन्ति यानानि निर्मीयन्ते तेऽत्र दृढा स्थिरसुखा जायन्ते ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसे ऐश्वर्याच्या वाढीसाठी पृथ्वी व मनाच्या वेगाप्रमाणे वेगवान जी याने तयार करतात ती येथे स्थिर सुख देणारी असतात. ॥ ३ ॥