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यु॒वमत्य॒स्याव॑ नक्षथो॒ यद्विप॑त्मनो॒ नर्य॑स्य॒ प्रय॑ज्योः। स्वसा॒ यद्वां॑ विश्वगूर्ती॒ भरा॑ति॒ वाजा॒येट्टे॑ मधुपावि॒षे च॑ ॥

English Transliteration

yuvam atyasyāva nakṣatho yad vipatmano naryasya prayajyoḥ | svasā yad vāṁ viśvagūrtī bharāti vājāyeṭṭe madhupāv iṣe ca ||

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Pad Path

यु॒वम्। अत्य॑स्य। अव॑। न॒क्ष॒थः॒। यत्। विऽप॑त्मनः। नर्य॑स्य। प्रऽय॑ज्योः। स्वसा॑। यत्। वा॒म्। वि॒श्व॒गू॒र्ती॒ इति॑ विश्वऽगूर्ती। भरा॑ति। वाजा॑य। ईट्टे॑। म॒धु॒ऽपौ॒। इ॒षे। च॒ ॥ १.१८०.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:180» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:23» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे स्त्रीपुरुषौ ! (यत्) जो (युवम्) तुम दोनों (प्रयज्योः) प्रयोग करने योग्य अर्थात् कार्य्य संचार में वर्त्तने योग्य (नर्यस्य) मनुष्यों में उत्तम (विपत्मनः) विशेष चलनेवाले (अत्यस्य) घोड़े को (अव, नक्षथः) प्राप्त होते हो (यत्) जिस (विश्वगूर्त्ती) समस्त उद्यम के करनेवालो (वाम्) तुम दोनों को (स्वसा) बहिन तुम्हारी (भराति) पाले-पोषे (वाजाय, च) और विज्ञान होने के लिये (ईट्टे) तुम दोनों की स्तुति करती अर्थात् प्रशंसा करती वे (मधुपौ) मधुर मीठे को पीते हुए तुम दोनों (इषे) अन्नादि पदार्थों के होने के लिए उत्तम यत्न करो ॥ २ ॥
Connotation: - जो स्त्री-पुरुष अग्नि आदि पदार्थों को शीघ्रगामी करने की विद्या को जानें तो यथेष्ट स्थान को जा सकते हैं, जिसकी बहिन पण्डिता हो उसकी प्रशंसा क्यों न हो ? ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे स्त्रीपुरुषौ यद्यो युवं युवां प्रयज्योर्नर्य्यस्य विपत्मनोऽत्यस्यावनक्षथः। यद्यौ विश्वगूर्त्ती वां स्वसा भराति वाजाय चेट्टे तौ मधुपौ युवामिषे प्रयतेथाम् ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (युवम्) युवाम् (अत्यस्य) अत्यस्याश्वस्य (अव) (नक्षथः) प्राप्नुथः (यत्) यौ (विपत्मनः) विशेषेण गमनशीलस्य (नर्य्यस्य) नृषु साधोः (प्रयज्योः) प्रयोक्तुं योग्यस्य (स्वसा) भगिनी (यत्) या (वाम्) युवाम् (विश्वगूर्त्ती) समग्रोद्यमौ (भराति) भरेत् (वाजाय) विज्ञानाय (ईट्टे) स्तौति (मधुपौ) मधुरं पिबन्तौ (इषे) अन्नाय (च) ॥ २ ॥
Connotation: - यदि स्त्रीपुरुषावग्न्याद्यश्वविद्यां जनीयातां तर्हि यथेष्टं गन्तुं शक्नुयात्। यस्य भगिनी विदुषी स्यात् तस्य प्रशंसा कुतो न स्यात् ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे स्त्री-पुरुष अग्नी इत्यादी पदार्थांना शीघ्रगामी करण्याची विद्या जाणतात ते इच्छित स्थानी जाऊ शकतात. ज्याची बहीण पंडिता असेल त्याची प्रशंसा कशी होणार नाही? ॥ २ ॥