यो रे॒वान्यो अ॑मीव॒हा व॑सु॒वित्पु॑ष्टि॒वर्ध॑नः। स नः॑ सिषक्तु॒ यस्तु॒रः॥
yo revān yo amīvahā vasuvit puṣṭivardhanaḥ | sa naḥ siṣaktu yas turaḥ ||
यः। रे॒वान्। यः। अ॒मी॒व॒ऽहा। व॒सु॒ऽवित्। पु॒ष्टि॒ऽवर्ध॑नः। सः। नः॒। सि॒स॒क्तु॒। यः। तु॒रः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह ईश्वर कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते।
यो रेवान् यः पुष्टिवर्धनो यो वसुविदमीवहा यस्तुरो ब्रह्मणस्पतिर्जगदीश्वरोऽस्ति, स नोऽस्मान् विद्यादिधनैः सह सिषक्तु अतिशयेन संयोजयतु॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A