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न॒दस्य॑ मा रुध॒तः काम॒ आग॑न्नि॒त आजा॑तो अ॒मुत॒: कुत॑श्चित्। लोपा॑मुद्रा॒ वृष॑णं॒ नी रि॑णाति॒ धीर॒मधी॑रा धयति श्व॒सन्त॑म् ॥

English Transliteration

nadasya mā rudhataḥ kāma āgann ita ājāto amutaḥ kutaś cit | lopāmudrā vṛṣaṇaṁ nī riṇāti dhīram adhīrā dhayati śvasantam ||

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Pad Path

न॒दस्य॑। मा॒। रु॒ध॒तः। कामः॑। आ। अ॒ग॒न्। इ॒तः। आऽजा॑तः। अ॒मुतः॑। कुतः॑। चि॒त्। लोपा॑मुद्रा। वृष॑णम्। निः। रि॒णा॒ति॒। धीर॑म्। अधी॑रा। ध॒य॒ति॒। श्व॒सन्त॑म् ॥ १.१७९.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:179» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:22» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (इतः) इधर से वा (अमुतः) उधर से वा (कुतश्चित्) कहीं से (आजातः) सब ओर से प्रसिद्ध (रुधतः) वीर्य रोकने वा (नदस्य) अव्यक्त शब्द करनेवाले वृषभ आदि का (कामः) काम (मा) मुझको (आगन्) प्राप्त होता अर्थात् उनके सदृश कामदेव उत्पन्न होता है। और (अधीरा) धीरज से रहित वा (लोपामुद्रा) लोप होजाना लुकि जाना ही प्रतीत का चिह्न है जिसका सो यह स्त्री (वृषणम्) वीर्यवान् (धीरम्) धीरजयुक्त (श्वसन्तम्) श्वासें लेते हुए अर्थात् शयनादि दशा में निमग्न पुरुष को (नीरिणति) निरन्तर प्राप्त होती और (धयति) उससे गमन भी करती है ॥ ४ ॥
Connotation: - जो विद्या धैर्य आदि रहित स्त्रियों को विवाहते हैं वे सुख नहीं पाते हैं। जो पुरुष कामरहित कन्या को वा कामरहित पुरुष को कुमारी विवाहे वहाँ कुछ भी सुख नहीं होता, इससे परस्पर प्रीतिवाले गुणों में समान स्त्री-पुरुष विवाह करें, वहाँ ही मङ्गल समाचार है ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

इतोऽमुतः कुतश्चिदाजातो रुधतो नदस्य कामो मागन्नधीरा लोपामुद्रेयं वृषणं धीरं श्वसन्तं पतिं नीरिणाति धयति च ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (नदस्य) अव्यक्तशब्दं कुर्वतो वृषभादेः (मा) माम् (रुधतः) रेतो निरोद्धुः (कामः) (आगन्) आगच्छति प्राप्नोति (इतः) अस्मात् (आजातः) सर्वतः प्रसिद्धः (अमुतः) अमुष्मात् (कुतः) कस्मात् (चित्) अपि (लोपामुद्रा) लोपएव आमुद्रा समन्तात् प्रत्ययकारिणी यस्याः सा (वृषणम्) वीर्यवन्तम् (निः) नितराम् (रिणाति) (धीरम्) धैर्ययुक्तम् (अधीरा) धैर्यरहिता (धयति) आधरति (श्वसन्तम्) प्राणयन्तम् ॥ ४ ॥
Connotation: - ये विद्याधैर्य्यादिरहिता स्त्रिय उद्वहन्ति ते सुखन्नाप्नुवन्ति। योऽकामां कन्यां यमकामं कुमारी चोद्वाहयेत्तत्र किमपि सुखं न जायते। तस्मात् परस्परं प्रीतौ सदृशौ विवाहं कुर्यातां तत्रैव मङ्गलम् ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे धैर्यहीन व विद्यारहित स्त्रियांशी विवाह करतात त्यांना सुख मिळत नाही. जो पुरुष कामरहित स्त्रीबरोबर किंवा जी स्त्री कामरहित पुरुषाबरोबर विवाह करते तेथेही सुख मिळत नाही. त्यामुळे परस्पर प्रेमयुक्त असणाऱ्या समान स्त्री-पुरुषांनी विवाह करावा. तेथेच मंगल होते. ॥ ४ ॥