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पू॒र्वीर॒हं श॒रद॑: शश्रमा॒णा दो॒षा वस्तो॑रु॒षसो॑ ज॒रय॑न्तीः। मि॒नाति॒ श्रियं॑ जरि॒मा त॒नूना॒मप्यू॒ नु पत्नी॒र्वृष॑णो जगम्युः ॥

English Transliteration

pūrvīr ahaṁ śaradaḥ śaśramāṇā doṣā vastor uṣaso jarayantīḥ | mināti śriyaṁ jarimā tanūnām apy ū nu patnīr vṛṣaṇo jagamyuḥ ||

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Pad Path

पू॒र्वीः। अ॒हम्। श॒रदः॑। श॒श्र॒मा॒णा। दो॒षाः। वस्तोः॑। उ॒षसः॑। ज॒रय॑न्तीः। मि॒नाति॑। श्रिय॑म्। ज॒रि॒मा। त॒नूना॑म्। अपि॑। ऊँ॒ इति॑। नु। पत्नीः॑। वृष॑णः। ज॒ग॒म्युः॒ ॥ १.१७९.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:179» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ उनासी सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में विद्वान् स्त्रीपुरुष के विषय को कहते हैं ।

Word-Meaning: - जैसे (अहम्) मैं (पूर्वीः) पहिले हुई (शरदः) वर्षों तथा (दोषाः) रात्रि (वस्तोः) दिन (जरयन्तीः) सबकी अवस्था को जीर्ण करती हुई (उषसः) प्रभात वेलाओं भर (शश्रमाणा) श्रम करती हुई हूँ (अपि, उ) और तो जैसे (तनूनाम्) शरीरों की (जरिमा) अतीव अवस्था को नष्ट करनेवाला काल (श्रियम्) लक्ष्मी को (मिनाति) विनाशता है वैसे (वृषणः) वीर्य्य सेचनेवाले (पत्नीः) अपनी-अपनी स्त्रियों को (नु) शीघ्र (जगम्युः) प्राप्त होवें ॥ १ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकुलप्तोपमालङ्कार है। जैसे बाल्यावस्था को लेकर विदुषी स्त्रियों ने प्रतिदिन प्रभात समय से घर के कार्य और पति की सेवा आदि कर्म किये हैं, वैसे किया है ब्रह्मचर्य जिन्होंने, उन स्त्री-पुरुषों को समस्त कार्यों का अनुष्ठान करना चाहिये ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वत्स्त्रीपुरुषविषयमाह।

Anvay:

यथाऽहं पूर्वीः शरदो दोषा वस्तो जरयन्तीरुषसश्च शश्रमाणाऽस्मि अप्यु अपि तु यथा तनूनां जरिमा श्रियं मिनाति तथा वृषणः पत्नीर्नु जगम्युः ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (पूर्वीः) पूर्वं भूताः (अहम्) (शरदः) (शश्रमाणा) तपोऽन्विता (दोषाः) रात्रयः (वस्तोः) दिनम् (उषसः) प्रभाताः (जरयन्तीः) जरां प्रापयन्तीः (मिनाति) हिनस्ति (श्रियम्) लक्ष्मीम् (जरिमा) अतिशयेन जरिता वयोहानिकर्त्ता (तनूनाम्) शरीराणाम् (अपि) (उ) वितर्के (नु) शीघ्रम् (पत्नीः) (वृषणः) सेक्तारः (जगम्युः) भृशं प्राप्नुयुः। अत्र वाच्छन्दसीति नुगागमाभावः ॥ १ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा बल्यावस्थामारभ्य विदुषीभिः स्त्रीभिः प्रत्यहं प्रभातसमयात् गृहकार्य्याणि पतिसेवादीनि च कर्माणि कृतानि तथा कृतब्रह्मचर्यस्त्रीपुरुषैः सर्वाणि कार्याण्यनुष्ठेयानि ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विदुषी स्त्री व विद्वान पुरुषांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती आहे, हे जाणले पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे बाल्यावस्थेपासून विदुषी स्त्रियांनी प्रत्येक दिवशी सकाळच्या वेळी घरचे कार्य व पतीची सेवा इत्यादी कर्म केलेले आहे तसे ज्यांनी ब्रह्मचर्य पालन केलेले आहे त्या स्त्री-पुरुषांनी संपूर्ण कार्याचे अनुष्ठान केले पाहिजे. ॥ १ ॥