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आवो॒ यस्य॑ द्वि॒बर्ह॑सो॒ऽर्केषु॑ सानु॒षगस॑त्। आ॒जाविन्द्र॑स्येन्दो॒ प्रावो॒ वाजे॑षु वा॒जिन॑म् ॥

English Transliteration

āvo yasya dvibarhaso rkeṣu sānuṣag asat | ājāv indrasyendo prāvo vājeṣu vājinam ||

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Pad Path

आवः॑। यस्य॑। द्वि॒ऽबर्ह॑सः। अ॒र्केषु॑। सा॒नु॒षक्। अस॑त्। आ॒जौ। इन्द्र॑स्य। इ॒न्दो॒ इति॑। प्र। आ॒वः॒। वाजे॑षु। वा॒जिन॑म् ॥ १.१७६.५

Rigveda » Mandal:1» Sukta:176» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:19» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (इन्दो) अपनी प्रजाओं में चन्द्रमा के समान वर्त्तमान ! (यस्य) जिस (द्विबर्हसः) विद्या पुरुषार्थ से बढ़ते हुए जन के (अर्केषु) अच्छे सराहे हुए अन्नादि पदार्थों में (सानुषक्) सानुकूलता ही (असत्) हो जिसकी आप (आवः) रक्षा करें वह (इन्द्रस्य) परमैश्वर्य सम्बन्धी (आजौ) संग्राम में (वाजेषु) वेगों में वर्त्तमान (वाजिनम्) बलवान् आपको (प्र, आवः) अच्छे प्रकार रक्षायुक्त करे अर्थात् निरन्तर आपकी रक्षा करें ॥ ५ ॥
Connotation: - जैसे सेनापति सब चाकरों की रक्षा करे, वैसे वे चाकर भी उसकी निरन्तर रक्षा करें ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे इन्दो यस्य द्विबर्हसोऽर्केषु सानुषगसत्। यं त्वमावः स इन्द्रस्याजौ वाजेषु वाजिनं त्वा प्रावः सततं रक्षन्तु ॥ ५ ॥

Word-Meaning: - (आवः) (यस्य) (द्विबर्हसः) यो द्वाभ्यां विद्यापुरुषार्थाभ्यां वर्द्धते तस्य (अर्केषु) सुसत्कृतेष्वन्नेषु (सानुषक्) सानुकूलता (असत्) भवेत् (आजौ) संग्रामे (इन्द्रस्य) परमैश्वर्यस्य (इन्दो) सुप्रजासु चन्द्रवद्वर्त्तमान (प्र) (आवः) रक्ष (वाजेषु) वेगेषु (वाजिनम्) बलवन्तम् ॥ ५ ॥
Connotation: - यथा सेनेशो सर्वान् भृत्यान् रक्षेत्तथा भृत्यास्तं सततं रक्षेयुः ॥ ५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा सेनापती सर्व चाकरांचे रक्षण करतो तसे त्यांनीही त्याचे निरंतर रक्षण करावे. ॥ ५ ॥