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स॒मत्सु॑ त्वा शूर स॒तामु॑रा॒णं प्र॑प॒थिन्त॑मं परितंस॒यध्यै॑। स॒जोष॑स॒ इन्द्रं॒ मदे॑ क्षो॒णीः सू॒रिं चि॒द्ये अ॑नु॒मद॑न्ति॒ वाजै॑: ॥

English Transliteration

samatsu tvā śūra satām urāṇam prapathintamam paritaṁsayadhyai | sajoṣasa indram made kṣoṇīḥ sūriṁ cid ye anumadanti vājaiḥ ||

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Pad Path

स॒मत्ऽसु॑। त्वा॒। शू॒र॒। स॒ताम्। उ॒रा॒णम्। प्र॒प॒थिन्ऽत॑मम्। प॒रि॒ऽतं॒स॒यध्यै॑। स॒जोष॑सः। इन्द्र॑म्। मदे॑। क्षो॒णीः। सू॒रिम्। चि॒त्। ये। अ॒नु॒ऽमद॑न्ति। वाजैः॑ ॥ १.१७३.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:173» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:14» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वद्विषय में राज्यप्राप्ति का साधन विषय अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (शूर) दुष्टों की हिंसा करनेवाले सेनाधीश ! (ये) जो (सजोषसः) समान प्रीति सेवनेवाले (समत्सु) सङ्ग्रामों में (परितंसयध्यै) सब ओर से भूषित करने के लिये (सताम्) सत्पुरुषों में (उराणम्) अधिक बल करते हुए (प्रपथिन्तमम्) अतिशयता से उत्तम पथगामी (इन्द्रम्) सेनापति (त्वा) तुमको (मदे) हर्ष आनन्द के लिये (क्षोणीः) भूमियों को (सूरिम्) विद्वान् के (चित्) समान (वाजैः) वेगादि गुणयुक्त वीर वा अश्वादिकों के साथ (अनु, मदन्ति) अनुमोद आनन्द देते हैं उनको तूँ भी आनन्दित कर ॥ ७ ॥
Connotation: - वे ही निर्वैर हैं, जो अपने समान और प्राणियों को जानते हैं। उन्हीं का राज्य बढ़ता है, जो सत्पुरुषों का ही प्रतिदिन सङ्ग करते हैं ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रकृतविषये राज्यप्राप्तिसाधनमाह ।

Anvay:

हे शूर ये सजोषसः समत्सु परितंसयध्यै सतामुराणं प्रपथिन्तममिन्द्रं त्वा मदे क्षोणीः सूरिं चिदिव वाजैरनुमदन्ति ताँस्त्वमप्यनुमन्दय ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (समत्सु) सङ्ग्रामेषु (त्वा) त्वाम् (शूर) दुष्टहिंसक (सताम्) सत्पुरुषाणाम् (उराणम्) बहुबलं कुर्वन्तम् (प्रपथिन्तमम्) अतिशयेन प्रकृष्टपथगामिनम् (परितंसयध्यै) परितः सर्वतस्तंसयितुं भूषयितुम् (सजोषसः) समानप्रीतिसेवनाः (इन्द्रम्) सेनेशम् (मदे) हर्षाय (क्षोणीः) भूमीः (सूरिम्) विद्वांसम् (चित्) इव (ये) (अनु, मदन्ति) (वाजैः) वेगादिगुणयुक्तैर्वीरैरश्वैर्वा ॥ ७ ॥
Connotation: - त एव निर्वैरा स्वात्मतुल्यानन्यान् प्राणिनो जानन्ति तेषामेव राज्यं वर्द्धते ये सत्पुरुषाणामेव सङ्गं प्रतिदिनं कुर्वन्ति ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे आपल्याप्रमाणे इतर प्राण्यांना मानतात ते निर्वैरी असतात. त्यांचेच राज्य वाढते जे सत्पुरुषांचा सतत संग करतात. ॥ ७ ॥