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मो षू ण॑ इ॒न्द्रात्र॑ पृ॒त्सु दे॒वैरस्ति॒ हि ष्मा॑ ते शुष्मिन्नव॒याः। म॒हश्चि॒द्यस्य॑ मी॒ळ्हुषो॑ य॒व्या ह॒विष्म॑तो म॒रुतो॒ वन्द॑ते॒ गीः ॥

English Transliteration

mo ṣū ṇa indrātra pṛtsu devair asti hi ṣmā te śuṣminn avayāḥ | mahaś cid yasya mīḻhuṣo yavyā haviṣmato maruto vandate gīḥ ||

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Pad Path

मो इति॑। सु। नः॒। इ॒न्द्र॒। अत्र॑। पृ॒त्ऽसु। दे॒वैः। अस्ति॑। हि। स्म॒। ते॒। शु॒ष्मि॒न्। अ॒व॒ऽयाः। म॒हः। चि॒त्। यस्य॑। मी॒ळ्हुषः॑। य॒व्या। ह॒विष्म॑तः। म॒रुतः॑। वन्द॑ते। गीः ॥ १.१७३.१२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:173» Mantra:12 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:15» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब साधारण जनों में बलादि विषय में विद्वानों का उपदेश किया है ।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) विद्या और ऐश्वर्य की प्राप्ति करनेवाले विद्वान् ! आप (अत्र) यहाँ (देवैः) विद्वान् वीरों के साथ (नः) हम लोगों के (पृत्सु) संग्रामों में (हि) जिस कारण (सु, अस्ति) अच्छे प्रकार सहायकारी हैं (स्म) ही ओर हे (शुष्मिन्) अत्यन्त बलवान् ! (अवयाः) जो विरुद्ध कर्म को नहीं प्राप्त होता ऐसे होते हुए आप (यस्य) जिन (मीढुषः) सींचनेवाले (हविष्मतः) बहुत विद्यादान सम्बन्धी (महः) बड़े (ते) आप (मरुतः) विद्वान् की (यव्या) नदी के समान (गीः) सत्य गुणों से युक्त वाणी (वन्दते) स्तुति करती अर्थात् सब पदार्थों की प्रशंसा करती (चित्) सी वर्त्तमान हैं वे आप हम लोगों को (मो) मत मारिये ॥ १२ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो बल को प्राप्त हो वह सज्जनों में शत्रु के समान न वर्त्ते, सदा आप्त शास्त्रज्ञ धर्मात्मा जनों के उपदेश को स्वीकार करे, इतर अधर्मात्मा के उपदेश को न स्वीकार करे ॥ १२ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ साधारणजनेषु बलादिविषये विद्वदुपदेशमाह ।

Anvay:

हे इन्द्र भवानत्र देवैर्नोऽस्माकं पृत्सु सहायकारी हि स्वस्ति ष्म। हे शुष्मिन्नवयाः संस्त्वं यस्य ते मीढुषो हविष्मतो महर्मरुतो यव्या गीर्वन्दते चिदिव वर्त्तते स त्वमस्मान् मो हिन्धि ॥ १२ ॥

Word-Meaning: - (मो) निषेधे (सु) (नः) अस्माकम् (इन्द्र) विद्यैश्वर्यप्रापक (अत्र) आसु (पृत्सु) सङ्ग्रामेषु (देवैः) विद्वद्भिर्वीरैस्सह (अस्ति) (हि) यतः (स्म) एव (ते) (शुष्मिन्) बलिष्ठ (अवयाः) योऽवयजति विरुद्धं कर्म न सङ्गच्छते सः (महः) महतः (चित्) अपि (यस्य) (मीढुषः) (यव्या) नदीव। यव्येति नदीना०। निघं० १। १३। (हविष्मतः) बहुविद्यादानसम्बन्धिनः (मरुतः) विदुषः (वन्दते) (गीः) सत्यगुणाढ्या वाणी ॥ १२ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यो बलं प्राप्नुयात् स सज्जनेषु शत्रुवन्न वर्त्तेत सदाप्तस्योपदेशमङ्गीकुर्यान्नेतरस्य ॥ १२ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. ज्याच्याजवळ बल असेल त्याने सज्जनांशी शत्रूप्रमाणे वागू नये. सदैव आप्त, शास्त्रज्ञ, धर्मात्मा लोकांच्या उपदेशाचा स्वीकार करावा. इतर अधार्मिक लोकांचा उपदेश स्वीकारू नये. ॥ १२ ॥