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अयु॑ज्रन्त इन्द्र वि॒श्वकृ॑ष्टीर्विदा॒नासो॑ नि॒ष्षिधो॑ मर्त्य॒त्रा। म॒रुतां॑ पृत्सु॒तिर्हास॑माना॒ स्व॑र्मीळ्हस्य प्र॒धन॑स्य सा॒तौ ॥

English Transliteration

ayujran ta indra viśvakṛṣṭīr vidānāso niṣṣidho martyatrā | marutām pṛtsutir hāsamānā svarmīḻhasya pradhanasya sātau ||

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Pad Path

अयु॑ज्रन्। ते। इ॒न्द्र॒। वि॒श्वऽकृ॑ष्टीः। वि॒दा॒नासः॑। निः॒ऽसिधः॑। म॒र्त्य॒ऽत्रा। म॒रुता॑म्। पृ॒त्सु॒तिः। हास॑माना। स्वः॑ऽमीळ्हस्य। प्र॒ऽधन॑स्य। सा॒तौ ॥ १.१६९.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:169» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) सुख के देनेहारे विद्वान् ! जो (निष्षिधः) अधर्म का निषेध करनेहारे (मर्त्यत्रा) मनुष्यों में (विदानासः) विद्वान् होते हुए (स्वर्मीढस्य) सुखों से सींचनेहारे (प्रधनस्य) उत्तम धन के (सातौ) अच्छे प्रकार भाग में (विश्वकृष्टीः) सब मनुष्यों को (अयुज्रन्) युक्त करते हैं (ते) वे जो (मरुताम्) मनुष्यों की (हासमाना) आनन्दमयी (पृत्सुतिः) वीरसेना है, उसको प्राप्त होवें ॥ २ ॥
Connotation: - जो पहिले ब्रह्मचर्य से विद्या को पढ़कर धर्मात्मा शास्त्रज्ञ विद्वानों के सङ्ग से समस्त शिक्षा को पाकर धार्मिक होते हैं, वे संसार को सुख देनेवाले होते हैं ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे इन्द्र ये निःसिधो मर्त्यत्रा विदानासः स्वर्मीढस्य प्रधनस्य सातौ विश्वकृष्टिरयुज्रंस्ते या मरुतां हासमाना पृत्सुतिस्तां प्राप्नुवन्तु ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (अयुज्रन्) युञ्जन्ति (ते) (इन्द्र) सुखप्रद (विश्वकृष्टीः) सर्वान् मनुष्यान् (विदानासः) विद्वांसः सन्तः (निःसिधः) अधर्मं प्रतिषेधन्तः (मर्त्यत्रा) मर्त्येषु (मरुताम्) मनुष्याणाम् (पृत्सुतिः) वीरसेना (हासमाना) आनन्दमयी (स्वर्मीढस्य) सुखैः सेचकस्य (प्रधनस्य) प्रकृष्टस्य धनस्य (सातौ) संभागे ॥ २ ॥
Connotation: - ये पूर्वं ब्रह्मचर्येण विद्यामधीत्याप्तानां सङ्गेनाखिलां शिक्षां प्राप्य धार्मिका जायन्ते ते विश्वस्य सुखप्रदा भवन्ति ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे प्रथम ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्या शिकून धर्मात्मा, शास्त्रज्ञ, विद्वानांच्या संगतीने संपूर्ण शिक्षण प्राप्त करतात व धार्मिक बनतात ते जगाला सुखी करणारे असतात. ॥ २ ॥