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क्व॑ स्विद॒स्य रज॑सो म॒हस्परं॒ क्वाव॑रं मरुतो॒ यस्मि॑न्नाय॒य। यच्च्या॒वय॑थ विथु॒रेव॒ संहि॑तं॒ व्यद्रि॑णा पतथ त्वे॒षम॑र्ण॒वम् ॥

English Transliteration

kva svid asya rajaso mahas paraṁ kvāvaram maruto yasminn āyaya | yac cyāvayatha vithureva saṁhitaṁ vy adriṇā patatha tveṣam arṇavam ||

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Pad Path

क्व॑। स्वि॒त्। अ॒स्य। रज॑सः। म॒हः। पर॑म्। क्व॑। अव॑रम्। म॒रु॒तः॒। यस्मि॑न्। आ॒ऽय॒य। यत्। च्य॒वय॑थ। वि॒थु॒राऽइ॑व। सम्ऽहि॑तम्। वि। अद्रि॑णा। प॒त॒थ॒। त्वे॒षम्। अ॒र्ण॒वम् ॥ १.१६८.६

Rigveda » Mandal:1» Sukta:168» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (मरुतः) विद्वानो ! (अस्य) इस (रजसः) भूगोल का (महः) बड़ा (परम्) कारण (क्व, स्वित्) निश्चय से कहाँ और (क्व) कहाँ (अवरम्) कार्य्य वर्त्तमान है इसको हम लोग पूछते हैं (यस्मिन्) जिसमें तुम (आयय) आओ (यत्) जिसको (च्यावयथ) चलाओ जिसमें (विथुरेव) दबाये पदार्थों के समान (संहितम्) मेल किये हुए यह जगत् है जिससे (अद्रिणा) मेघवृन्द के पवन (त्वेषम्) सूर्य के प्रकाश और (अर्णवम्) समुद्र को (वि, पतथ) नीचे प्राप्त होते हैं वही परब्रह्म सब जगत् का बड़ा कारण है, यही उक्त प्रश्नों का उत्तर है ॥ ६ ॥
Connotation: - जिसमें यह भूगोल आदि जगत् जाता-आता, कम्पता उसीको आकाश के समान कारण जानो, जिसमें ये लोक उत्पन्न होते, भ्रमते और प्रलय हो जाते हैं, वह परम उत्कृष्ट निमित्त कारण ब्रह्म है ॥ ६ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मरुतोऽस्य रजसो महस्परं क्व स्वित् क्वावरं वर्त्तत इति पृच्छामः। यस्मिन् यूयमायय यच्च्यावयथ यस्मिन् विथुरेव संहितमिदं जगद्येनाद्रिणा सह वायवस्त्वेषमर्णवं विपतथ तदेव सर्वस्य जगतो महत् कारणं वर्त्तत इत्युत्तरम् ॥ ६ ॥

Word-Meaning: - (क्व) कस्मिन् (स्वित्) एव (अस्य) (रजसः) भूगोलस्य (महः) महत् (परम्) कारणम् (क्व) (अवरम्) कार्यम् (मरुतः) विद्वांसः (यस्मिन्) (आयय) आगच्छत। अत्र लोडर्थे लिट्। (यत्) (च्यावयथ) चालयथ (विथुरेव) यथा व्यथितानि (संहितम्) कृतसाधनम् (वि) (अद्रिणा) मेघेन सह (पतथ) अध आगच्छथ (त्वेषम्) सूर्य्यदीप्तिम् (अर्णवम्) समुद्रम् ॥ ६ ॥
Connotation: - यस्मिन्निदं भूगोलादिकं गच्छत्यागच्छति कम्पते तदेवाकाशवत् कारणं विजानीत यस्मिन्नेते लोका उत्पद्यन्ते विद्यन्ते भ्रमन्ति प्रलीयन्ते च तत्परं निमित्तं कारणं ब्रह्मेति ॥ ६ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्याच्यामध्ये हा भूगोल इत्यादी जगत जाते येते, कंपित होते, त्यालाच आकाशाप्रमाणे कारण जाणा. ज्यात हे लोक (गोल) उत्पन्न होतात, भ्रमण करतात व प्रलय होतो तो परम उत्कृष्ट निमित्त कारण ब्रह्म आहे. ॥ ६ ॥