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पान्ति॑ मि॒त्रावरु॑णावव॒द्याच्चय॑त ईमर्य॒मो अप्र॑शस्तान्। उ॒त च्य॑वन्ते॒ अच्यु॑ता ध्रु॒वाणि॑ ववृ॒ध ईं॑ मरुतो॒ दाति॑वारः ॥

English Transliteration

pānti mitrāvaruṇāv avadyāc cayata īm aryamo apraśastān | uta cyavante acyutā dhruvāṇi vāvṛdha īm maruto dātivāraḥ ||

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Pad Path

पान्ति॑। मि॒त्रावरु॑णौ। अ॒व॒द्यात्। चय॑ते। ई॒म्। अ॒र्य॒मो इति॑। अप्र॑ऽशस्तान्। उ॒त। च्य॒व॒न्ते॒। अच्यु॑ता। ध्रु॒वाणि॑। व॒वृ॒धे। ई॒म्। म॒रु॒तः॒। दाति॑ऽवारः ॥ १.१६७.८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:167» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:5» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (मरुतः) विद्वानो ! आप लोग और (मित्रावरुणौ) मित्र और श्रेष्ठ सज्जन वा अध्यापक और उपदेशक जन (अवद्यात्) निन्द्यपापाचरण से (पान्ति) मनुष्यों की रक्षा करते हैं तथा (अर्यमो) न्याय करनेवाला राजा (अप्रशस्तान्) दुराचारी जनों को (ईम्) प्रत्यक्ष (चयते) इकट्ठा करता है (उत) और वे (अच्युता) विनाशरहित (ध्रुवाणि) ध्रुव दृढ़ कामों को (च्यवन्ते) प्राप्त होते हैं और (दातिवारः) दान को लेनेवाला (ईम्) सब ओर से (ववृधे) बढ़ता है ॥ ८ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य विद्या, धर्म और उत्तम शिक्षा के देने से अज्ञानियों को अधर्म से निवृत्त कर ध्रुव शुभ गुण और कर्मों को प्राप्त कराते हैं, वे सुख से अलग नहीं होते ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मरुतो भवन्तो मित्रावरुणौ चावद्यात् पान्ति जनान् रक्षन्ति। अर्यमो अप्रशस्तानीञ्चयते। उत तेऽच्युता ध्रुवाणि च्यवन्ते दातिवार ईं ववृधे ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (पान्ति) रक्षन्ति (मित्रावरुणौ) सखिवरावध्यापकोपदेशकौ वा (अवद्यात्) निन्द्यात् पापाचरणात् (चयते) एकत्र करोति (ईम्) प्रत्यक्षम् (अर्य्यमो) न्यायकारी। अत्रार्योपपदान्मन धातोरौणादिको बाहुलकादो प्रत्ययः। (अप्रशस्तान्) निन्द्यकर्माचारिणः (उत) अपि (च्यवन्ते) प्राप्नुवन्ति (अच्युता) विनाशरहितानि (ध्रुवाणि) दृढानि कर्माणि (ववृधे) वर्द्धते (ईम्) सर्वतः (मरुतः) विद्वांसः (दातिवारः) यो दातिं दानं वृणोति सः ॥ ८ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्या विद्याधर्मसुशिक्षादानेनाज्ञानिनोऽधर्मान्निवर्त्य ध्रुवाणि शुभगुणकर्माणि प्रापयन्ति ते सुखात् पृथक् न भवन्ति ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे विद्या, धर्म व उत्तम शिक्षण देऊन अज्ञानी लोकांना अधर्मापासून निवृत्त करतात व दृढ आणि शुभ गुण कर्म प्राप्त करवितात ती सुखापासून पृथक नसतात. ॥ ८ ॥