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प्र तं वि॑वक्मि॒ वक्म्यो॒ य ए॑षां म॒रुतां॑ महि॒मा स॒त्यो अस्ति॑। सचा॒ यदीं॒ वृष॑मणा अहं॒युः स्थि॒रा चि॒ज्जनी॒र्वह॑ते सुभा॒गाः ॥

English Transliteration

pra taṁ vivakmi vakmyo ya eṣām marutām mahimā satyo asti | sacā yad īṁ vṛṣamaṇā ahaṁyuḥ sthirā cij janīr vahate subhāgāḥ ||

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Pad Path

प्र। तम्। वि॒व॒क्मि॒। वक्म्यः॑। यः। ए॒षा॒म्। म॒रुता॑म्। म॒हि॒मा। स॒त्यः। अस्ति॑। सचा॑। यत्। ई॒म्। वृष॑ऽमनाः। अ॒ह॒म्ऽयुः। स्थि॒रा। चि॒त्। जनीः॑। वह॑ते। सु॒ऽभा॒गाः ॥ १.१६७.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:167» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:5» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (यः) जो (एषाम्) इन (मरुताम्) पवनों के समान विद्वानों का (वक्म्यः) कहने योग्य (सत्यः) सत्य (महिमा) बड़प्पन (अस्ति) है (तम्) उसको और (यत्) जो (अहंयुः) अहङ्कारवाला अभिमानी (वृषमनाः) जिसका वीर्य सींचने में मन वह (ईम्) सब ओर से (सचा) सम्बन्ध के साथ (स्थिरा, चित्) स्थिर ही (सुभागाः) सुन्दर सेवन करने (जनीः) अपत्यों को उत्पन्न करनेवाली स्त्रियों को (वहते) प्राप्त होता उसको भी मैं (प्र, विवक्मि) अच्छे प्रकार विशेषता से कहता हूँ ॥ ७ ॥
Connotation: - मनुष्यों का यही बड़प्पन है जो दीर्घ ब्रह्मचर्य से कुमार और कुमारी शरीर और आत्मा के पूर्ण बल के लिये विद्या और उत्तम शिक्षा को ग्रहण कर चिरञ्जीवी दृढ़ जिनके शरीर और मन ऐसे भाग्यशाली सन्तानों को उत्पन्न कर उनको प्रशंसित करना ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

य एषां मरुतां वक्म्यः सत्यो महिमास्ति तं यद्योऽहंयुर्वृषमना ईं सचा स्थिरा चित् सुभागा जनीर्वहते तं चाहं प्रविवक्मि ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (प्र) (तम्) (विवक्मि) विशेषेण वदामि। अत्र वाच्छन्दसीति कुत्वम्। (वक्म्यः) वक्तुं योग्यः (यः) (एषाम्) (मरुताम्) वायुनामिव विदुषाम् (महिमा) महतो भावः (सत्यः) सत्सु साधुरव्यभिचारी (अस्ति) (सचा) सम्बन्धेन (यत्) यः (ईम्) सर्वतः (वृषमनाः) वृषे वीर्यसेचने मनो यस्य सः (अहंयुः) अहं विद्यते यस्मिन् सः (स्थिरा) निश्चलाः। अत्राकारादेशः। (चित्) खलु (जनीः) अपत्यानि प्रादुर्भवित्रीः (वहते) प्राप्नोति (सुभागाः) शोभनो भागो भजनं यासान्ताः ॥ ७ ॥
Connotation: - मनुष्याणामिदमेव महत्त्वं यद्दीर्घेण ब्रह्मचर्येण कुमाराः कुमार्यश्च पूर्णायुशरीरात्मबलाय विद्यासुशिक्षे गृहीत्वा चिरञ्जीवानि दृढकायमनांसि भाग्यशालीन्यपत्यान्युत्पाद्य प्रशंसितकरणमिति ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसासाठी हे महत्त्वाचे आहे की, दीर्घ ब्रह्मचर्य पाळून कुमार व कुमारी यांनी शरीर व आत्म्याच्या पूर्ण बलासाठी विद्या व उत्तम शिक्षण ग्रहण करून ज्यांचे शरीर व मन दृढ व दीर्घजीवी असेल अशा भाग्यवान संतानांना उत्पन्न करावे, ज्यामुळे त्यांची प्रशंसा होईल. ॥ ७ ॥