Go To Mantra

स॒हस्रं॑ त इन्द्रो॒तयो॑ नः स॒हस्र॒मिषो॑ हरिवो गू॒र्तत॑माः। स॒हस्रं॒ रायो॑ माद॒यध्यै॑ सह॒स्रिण॒ उप॑ नो यन्तु॒ वाजा॑: ॥

English Transliteration

sahasraṁ ta indrotayo naḥ sahasram iṣo harivo gūrtatamāḥ | sahasraṁ rāyo mādayadhyai sahasriṇa upa no yantu vājāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

स॒हस्र॑म्। ते॒। इ॒न्द्र॒। ऊ॒तयः॑। नः॒। स॒हस्र॑म्। इषः॑। ह॒रि॒ऽवः॒। गू॒र्तऽत॑माः। स॒हस्र॑म्। रायः॑। मा॒द॒यध्यै॑। स॒ह॒स्रिणः॑। उप॑। नः॒। य॒न्तु॒। वाजाः॑ ॥ १.१६७.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:167» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:4» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब एकसौ सरसठवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में सज्जनों के गुणों का वर्णन करते हैं ।

Word-Meaning: - हे (हरिवः) धारणाकर्षणादियुक्त (इन्द्र) परमैश्वर्यवाले विद्वान् ! जो (ते) आपकी (सहस्रम्) सहस्रों (ऊतयः) रक्षायें (सहस्रम्) सहस्रों (इषः) अन्न आदि पदार्थ (सहस्रम्) सहस्रों (गूर्त्ततमाः) उत्यन्त उद्य वा (रायः) धन हैं वे (नः) हमारे हों और (सहस्रिणः) सहस्रों पदार्थ जिनमें विद्यमान वे (वाजाः) बोध (मादयध्यै) आनन्दित करने के लिये (नः) हम लोगों को (उप, यन्तु) निकट प्राप्त हों ॥ १ ॥
Connotation: - मनुष्यों को जो भाग्यशालियों को सर्वोत्तम सामग्री से और यथायोग्य क्रिया से असंख्य सुख होते हैं, वे हमारे हों, ऐसा मानकर निरन्तर प्रयत्न करना चाहिये ॥ १ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सज्जनगुणानाह ।

Anvay:

हे हरिव इन्द्र यास्ते सहस्रमूतयः सहस्रमिषः सहस्रं गूर्त्ततमा रायः सन्ति ता नः सन्तु। सहस्रिणो वाजा मादयध्यै नोऽस्मानुपयन्तु ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (सहस्रम्) असंख्या (ते) तव (इन्द्र) परमैश्वर्ययुक्त सम्राट् (ऊतयः) रक्षाः (नः) अस्माकम् (सहस्रम्) (इषः) अन्नादीनि (हरिवः) धारणाऽऽकर्षणादियुक्त (गूर्त्ततमाः) अतिशयिता उद्यमाः (सहस्रम्) (रायः) श्रियः (मादयध्यै) मादयितुमानन्दयितुम् (सहस्रिणः) सहस्रमसंख्याता बहवः पदार्थाः सन्ति येषु ते (उप) (नः) अस्मान् (यन्तु) प्राप्नुवन्तु (वाजाः) बोधाः ॥ १ ॥
Connotation: - मनुष्यैर्यानि भाग्यशालिनां सर्वोत्तमसामग्र्या यथायोग्यक्रियया चाऽसंख्यानि सुखानि भवन्ति तान्यस्माकं सन्त्विति मत्वा सततं प्रयतितव्यम् ॥ १ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात वायूच्या दृष्टान्ताने चांगल्या विद्वान लोकांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागील अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - सौभाग्यवान माणसांना सर्वोत्तम सामग्रीने व यथायोग्य क्रियेने असंख्य सुख प्राप्त होते. ते आपल्याला निरंतर मिळावे असा माणसांनी प्रयत्न केला पाहिजे. ॥ १ ॥