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ई॒र्मान्ता॑स॒: सिलि॑कमध्यमास॒: सं शूर॑णासो दि॒व्यासो॒ अत्या॑:। हं॒सा इ॑व श्रेणि॒शो य॑तन्ते॒ यदाक्षि॑षुर्दि॒व्यमज्म॒मश्वा॑: ॥

English Transliteration

īrmāntāsaḥ silikamadhyamāsaḥ saṁ śūraṇāso divyāso atyāḥ | haṁsā iva śreṇiśo yatante yad ākṣiṣur divyam ajmam aśvāḥ ||

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Pad Path

ई॒र्मऽअ॑न्तासः। सिलि॑कऽमध्यमासः। सम्। शूर॑णासः। दि॒व्यासः। अत्याः॑। हं॒साःऽइ॑व। श्रे॒णि॒ऽशः। य॒त॒न्ते॒। यत्। आक्षि॑षुः। दि॒व्यम्। अज्म॑म्। अश्वाः॑ ॥ १.१६३.१०

Rigveda » Mandal:1» Sukta:163» Mantra:10 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:12» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! (तत्) जो (सिलिकमध्यमासः) स्थान में प्रसिद्ध हुए (ईर्मान्तासः) कम्पन जिनका अन्त (शूरणासः) हिंसक अर्थात् कलायन्त्र को प्रबलता से ताड़ना देते हुए प्रकाशमान (दिव्यासः) दिव्यगुण, कर्म, स्वभाववाले (अत्याः) निरन्तर जानेवाले (अश्वाः) शीघ्र जानेवाले अग्न्यादि रूप घोड़े (हंसाइव) हंसों के समान (श्रेणिशः) पङ्क्ति सी किये हुए वर्त्तमान (सं, यतन्ते) अच्छा प्रयत्न कराते हैं और (दिव्यम्) अन्तरिक्ष में हुए (अज्मम्) मार्ग को (आक्षिषुः) व्याप्त होते हैं उन वायु, अग्नि और जलादिकों को कार्य्यों में अच्छे प्रकार लगाओ ॥ १० ॥
Connotation: - जो सिलिकादि यन्त्रों से अर्थात् जिनमें कोठे-दरकोठे कलाओं के होते हैं, उन यन्त्रों से बिजुली आदि उत्पन्न कर और विमान आदि यानों में उनका संप्रयोग कर कार्यसिद्धि को करते हैं, वे मनुष्य बड़ी भारी लक्ष्मी को पाते हैं ॥ १० ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे विद्वांसो यद्ये सिलिकमध्यमास ईर्मान्तासः शूरणासो दिव्यासोऽत्या अश्वा हंसाइव श्रेणिशः संयतन्ते दिव्यमज्ममाक्षिषुस्तान्वाय्वग्निजलादीन् कार्य्येषु संप्रयुङ्ग्ध्वम् ॥ १० ॥

Word-Meaning: - (ईर्मान्तासः) कम्पनान्ताः (सिलिकमध्यमासः) सिलिकानां मध्ये भवा (सम्) (शूरणासः) हिंसका कलायन्त्रताडनेन प्रकाशमानाः (दिव्यासः) दिव्यगुणकर्मस्वभावाः (अत्याः) अतितुं शीलाः (हंसाइव) हंसपक्षिववत् (श्रेणिशः) पङ्क्तिवद्वर्त्तमानाः (यतन्ते) यातयन्ति। अन्तर्भावितण्यर्थः। (यत्) ये (आक्षिषुः) व्याप्नुवन्ति (दिव्यम्) दिवि भवम् (अज्मम्) गमनाधिरकरणं मार्गम् (अश्वाः) आशुगन्तारः ॥ १० ॥
Connotation: - ये सिलिकादियन्त्रैस्संघर्षितेभ्यः पदार्थेभ्यो विद्युदादीनुत्पाद्य यानादिषु संप्रयोज्य कार्यसिद्धिं कुर्वन्ति ते मनुष्या महतीं श्रियं लभन्ते ॥ १० ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे शिलिका इत्यादी यंत्रांनी अर्थात् ज्यात आतल्या भागात कळा असतात त्या यंत्रांनी विद्युत तयार करून विमान इत्यादी यानात त्यांचा संप्रयोग करून कार्यसिद्धी करतात ती माणसे श्री प्राप्त करतात. ॥ १० ॥