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आपो॒ भूयि॑ष्ठा॒ इत्येको॑ अब्रवीद॒ग्निर्भूयि॑ष्ठ॒ इत्य॒न्यो अ॑ब्रवीत्। व॒ध॒र्यन्तीं॑ ब॒हुभ्य॒: प्रैको॑ अब्रवीदृ॒ता वद॑न्तश्चम॒साँ अ॑पिंशत ॥

English Transliteration

āpo bhūyiṣṭhā ity eko abravīd agnir bhūyiṣṭha ity anyo abravīt | vadharyantīm bahubhyaḥ praiko abravīd ṛtā vadantaś camasām̐ apiṁśata ||

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Pad Path

आपः॑। भूयि॑ष्ठाः। इति॑। एकः॑। अ॒ब्र॒वी॒त्। अ॒ग्निः। भूयि॑ष्ठः। इति॑। अ॒न्यः। अ॒ब्र॒वी॒त्। व॒धः॒ऽयन्ती॑म्। ब॒हुऽभ्यः॑। प्र। एकः॑। अ॒ब्र॒वी॒त्। ऋ॒ता। वद॑न्तः। च॒म॒सान्। अ॒पिं॒श॒त॒ ॥ १.१६१.९

Rigveda » Mandal:1» Sukta:161» Mantra:9 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:5» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! तुम जैसे (एकः) एक पुरुष संयुक्त पृथिवी आदि पदार्थों में (आपः) जल (भूयिष्ठा) अधिक हैं (इति) ऐसा (अब्रवीत्) कहता है (अन्यः) और दूसरा (अग्निः) अग्नि (भूयिष्ठः) अधिक है (इति) ऐसा (प्राब्रवीत्) उत्तमता से कहता है तथा (एकः) कोई (बहुभ्यः) बहुत पदार्थों में (वधर्यन्तीम्) बढ़ती हुई भूमि को अधिक (अब्रवीत्) बतलाता है इसी प्रकार (ऋता) सत्य बातों को (वदन्तः) कहनेवाले होते हुए सज्जन (चमसान्) मेघों के समान पदार्थों को (अपिंशत) अलग-अलग करो ॥ ९ ॥
Connotation: - इस संसार में स्थूल पदार्थों के बीच कोई जल को अधिक, कोई अग्नि को अधिक और कोई भूमि को बड़ी-बड़ी बतलाते हैं। परन्तु स्थूल पदार्थों में भूमि ही अधिक है, इस प्रकार सत्यविज्ञान से मेघ के अवयवों का जो ज्ञान उसके समान सब पदार्थों को अलग-अलग कर सिद्धान्तों की सब परीक्षा करें, इस काम के विना यथार्थ पदार्थविद्या को नहीं जान सकते ॥ ९ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मनुष्या यूयं यथैकः संयुक्तेषु पृथिव्यादिषु पदार्थेष्वापो भूयिष्ठा इत्यब्रवीदन्योऽग्निर्भूयिष्ठ इति प्राब्रवीदेको बहुभ्यो वधर्यन्तीं भूमिं भूयिष्ठामब्रवीदेवमृता वदन्तः सन्तः चमसानिव पदार्थानपिंशत ॥ ९ ॥

Word-Meaning: - (आपः) जलानि (भूयिष्ठाः) अधिकाः (इति) एवम् (एकः) (अब्रवीत्) ब्रूते (अग्निः) पावकः (भूयिष्ठः) अधिकः (इति) (अन्यः) (अब्रवीत्) ब्रूते (वधर्यन्तीम्) भूमिम् (बहुभ्यः) पदार्थेभ्यः (प्र) (एकः) (अब्रवीत्) वदति (ऋता) ऋतानि सत्यानि (वदन्तः) उच्चरन्तः (चमसान्) मेघानिव (अपिंशत) विभक्तान् कुरुत ॥ ९ ॥
Connotation: - अस्मिन् संसारे स्थूलेषु पदार्थेषु वा केचिदपोऽधिकाः केचिदग्निमधिकं केचिद्भूमिं पुष्कलां वदन्ति परन्तु स्थूलेषु भूमिरेवाधिकास्तीति। सत्येन विज्ञानेन मेघाऽवयवविवेकवत् सर्वान् पदार्थान् विभक्तान् कृत्वा तत्त्वानि सर्वे सुपरीक्षेरन्नैतेन विना यथार्थां पदार्थविद्यां वेदितुं शक्नुवन्ति ॥ ९ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या जगात स्थूल पदार्थात कुणी जल, कुणी अग्नी तर कुणी भूमीला मोठे मानतात; परंतु स्थूल पदार्थात भूमीच अधिक आहे. या प्रकारच्या सत्यविज्ञानाने मेघाच्या अवयवाचे ज्ञान त्याच्यासारख्या सर्व पदार्थांना वेगवेगळे करून सिद्धांताची सर्वांनी परीक्षा करावी. या कार्याशिवाय यथार्थ पदार्थ विद्या जाणता येत नाही. ॥ ९ ॥