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च॒कृ॒वांस॑ ऋभव॒स्तद॑पृच्छत॒ क्वेद॑भू॒द्यः स्य दू॒तो न॒ आज॑गन्। य॒दावाख्य॑च्चम॒साञ्च॒तुर॑: कृ॒तानादित्त्वष्टा॒ ग्नास्व॒न्तर्न्या॑नजे ॥

English Transliteration

cakṛvāṁsa ṛbhavas tad apṛcchata kved abhūd yaḥ sya dūto na ājagan | yadāvākhyac camasāñ caturaḥ kṛtān ād it tvaṣṭā gnāsv antar ny ānaje ||

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Pad Path

च॒कृ॒ऽवांसः॑। ऋ॒भ॒वः॒। तत्। अ॒पृ॒च्छ॒त॒। क्व॑। इत्। अ॒भू॒त्। यः। स्यः। दू॒तः। नः॒। आ। अज॑गन्। य॒दा। अ॒व॒ऽअख्य॑त्। च॒म॒सान्। च॒तुरः॑। कृ॒तान्। आत्। इत्। त्वष्टा॑। ग्नासु॑। अ॒न्तः। नि। आ॒न॒जे॒ ॥ १.१६१.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:161» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:4» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (चकृवांसः) कर्म करनेवाले (ऋभवः) मेधावि सज्जनो ! (यः) जो (दूतः) दूत (नः) हमारे प्रति (आ, अजगन्) बार-बार प्राप्त होवे (स्थः) वह (क्व) कहाँ (अभूत्) उत्पन्न हुआ है (तत्, इत्) उस ही को विद्वानों के प्रति आप लोग (अपृच्छत) पूछो। जो (त्वष्टा) सूक्ष्मता करनेवाला (यदा) जब (चमसान्) मेघों को (अवाख्यत्) विख्यात करे तब वह (चतुरः) चार पदार्थों को अर्थात् वायु, अग्नि, जल और भूमि को (कृतान्) किये हुए अर्थात् पदार्थ विद्या से उपयोग में लिये हुए जाने (आत्) और (इत्) वही (ग्नासु) गमन करने योग्य भूमियों के (अन्तः) बीच यानों को (नि, आनजे) चलावे ॥ ४ ॥
Connotation: - जो विद्वानों के समीप में उत्तम शिक्षा और विद्या को पाकर समस्त सिद्धान्तों के उत्तरों को जान कार्य्यों में अत्युत्तम योग करते हैं, वे बुद्धिमान् होते हैं ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे चकृवांस ऋभवो यो दूतो न आजगन् स्य सः क्वाभूदिति तदित्तमेव विदुषः प्रति भवन्तोऽपृच्छत। यस्त्वष्टा यदा चमसानवाख्यत्तदा स चतुरः कृतान् विजानीयादात्स इत् ग्नास्वन्तर्यानानि न्यानजे ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (चकृवांसः) कर्त्तारः (ऋभवः) मेधाविनः। ऋभुरिति मेधाविना०। निघं० ३। १५। (तत्) (अपृच्छत) पृच्छन्तु (क्व) कस्मिन् (इत्) एव (अभूत्) भवति (यः) (स्यः) (दूतः) (नः) अस्मान् (आ) (अजगन्) पुनः पुनः प्राप्नोति (यदा) (अवाख्यत्) प्रख्यापयेत् (चमसान्) मेघान् (चतुरः) वाय्वग्निजलभूमीः (कृतान्) (आत्) (इत्) (त्वष्टा) तनूकर्त्ता (ग्नासु) गन्तुं योग्यासु भूमिषु (अन्तः) मध्ये (नि) (आनजे) अस्येच्चालयेत् ॥ ४ ॥
Connotation: - ये विद्वत्सनीडे सुशिक्षा विद्यां च प्राप्य सर्वसिद्धान्तोत्तराणि विज्ञाय कार्येषु संप्रयुञ्जते ते मेधाविनो जायन्ते ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वानांच्या संगतीने उत्तम शिक्षण व विद्या प्राप्त करून संपूर्ण सिद्धांताची उत्तरे जाणून कार्यामध्ये अत्युत्तम संप्रयोजन करतात ते बुद्धिमान असतात. ॥ ४ ॥