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सु॒षु॒प्वांस॑ ऋभव॒स्तद॑पृच्छ॒तागो॑ह्य॒ क इ॒दं नो॑ अबूबुधत्। श्वानं॑ व॒स्तो बो॑धयि॒तार॑मब्रवीत्संवत्स॒र इ॒दम॒द्या व्य॑ख्यत ॥

English Transliteration

suṣupvāṁsa ṛbhavas tad apṛcchatāgohya ka idaṁ no abūbudhat | śvānam basto bodhayitāram abravīt saṁvatsara idam adyā vy akhyata ||

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Pad Path

सु॒षु॒प्वांसः॑। ऋ॒भ॒वः॒। तत्। अ॒पृ॒च्छ॒त॒। अगो॑ह्य। कः। इ॒दम्। नः॒। अ॒बू॒बु॒ध॒त्। श्वान॑म्। व॒स्तः। बो॒ध॒यि॒तार॑म्। अ॒ब्र॒वी॒त्। स॒व्ँम्व॒त्स॒रे। इ॒दम्। अ॒द्य। वि। अ॒ख्य॒त॒ ॥ १.१६१.१३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:161» Mantra:13 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:6» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (सुसुप्वांसः) सोनेवाले (ऋभवः) बुद्धिमान् जनो ! तुम जिस काम को (अपृच्छत) पूछो और जिसको (वि, अख्यत) प्रसिद्ध कहो (तत्, इदम्) उस इस काम को (नः) हम लोगों को (कः) कौन (अबूबुधत्) जनावे। हे (अगोह्य) न गुप्त राखने योग्य (वस्तः) ढाँपने-छिपानेवाला (श्वानम्) कार्य्यों में प्रेरणा देने और (बोधयितारम्) शुभागुण विषय जनानेवाले को जैसे जिस विषय को (अब्रवीत्) कहे वैसे उस (इदम्) प्रत्यक्ष विषय को (संवत्सरे) एक वर्ष में वा (अद्य) आज तू कह ॥ १३ ॥
Connotation: - बुद्धिमान् जन जिस-जिस विषय को विद्वानों को पूछ कर निश्चय करें उस उस को मूर्ख निर्बुद्धि जन निश्चय नहीं कर सकें, जड़ मन्दमति जन जितना एक संवत्सर में पढ़ता है, उतना बुद्धिमान् एक दिन में ग्रहण कर सकता है ॥ १३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे सुसुप्वांस ऋभवो यूयं यदपृच्छत यच्च व्यख्यत तदिदं नः कोऽबूबुधत्। हे अगोह्य वस्तः श्वानं बोधयितारं यथा यदब्रीवत्तदिदं संवत्सरेऽद्य वा त्वं ब्रूहि ॥ १३ ॥

Word-Meaning: - (सुसुप्वांसः) ये सुप्ताः (ऋभवः) मेधाविनः (तत्) (अपृच्छत) (अगोह्य) अरक्ष्य (कः) (इदम्) कर्म (नः) अस्मान् (अबूबुधत्) बोधयेत् (श्वानम्) प्रेरकम् (वस्तः) आच्छादकः (बोधयितारम्) ज्ञापयितारम् (अब्रवीत्) ब्रूयात् (संवत्सरे) (इदम्) प्रत्यक्षम् (अद्य) अस्मिन् दिने (वि) (अख्यत) प्रख्यापय ॥ १३ ॥
Connotation: - धीमन्तो यद्यद्विदुषः पृष्ट्वा निश्चिनुयुः। तत्तन्न मूर्खा निश्चेतुं शक्नुयुः। जडधीर्य्यावत् संवत्सरेऽधीते तावत् प्राज्ञ एकस्मिन् दिने ग्रहीतुं शक्नोति ॥ १३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - बुद्धिमान लोक जो जो विषय विद्वानांना विचारून निश्चय करतात त्या त्या गोष्टीचा निर्बुद्ध लोक निश्चय करू शकत नाहीत. जड मंदमती माणूस जितके एका संवत्सरात (वर्षात) शिकतो तितके बुद्धिमान एका दिवसात ग्रहण करू शकतो. ॥ १३ ॥