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अ॒यं ते॒ स्तोमो॑ अग्रि॒यो हृ॑दि॒स्पृग॑स्तु॒ शंत॑मः। अथा॒ सोमं॑ सु॒तं पि॑ब॥

English Transliteration

ayaṁ te stomo agriyo hṛdispṛg astu śaṁtamaḥ | athā somaṁ sutam piba ||

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Pad Path

अ॒यम्। ते॒। स्तोमः॑। अ॒ग्रि॒यः। हृ॒दि॒ऽस्पृक्। अ॒स्तु॒। शम्ऽत॑मः। अथ॑। सोम॑म्। सु॒तम्। पि॒ब॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:16» Mantra:7 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:31» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

उक्त वायु कैसे गुणवाला है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - मनुष्यों को जैसे यह वायु प्रथम (सुतम्) उत्पन्न किये हुए (सोमम्) सब पदार्थों के रस को (पिब) पीता है, (अथ) उसके अनन्तर (ते) जो उस वायु का (अग्रियः) अत्युत्तम (हृदिस्पृक्) अन्तःकरण में सुख का स्पर्श करानेवाला (स्तोमः) उसके गुणों से प्रकाशित होकर क्रियाओं का समूह विदित (अस्तु) हो, वैसे काम करने चाहियें॥७॥
Connotation: - मनुष्यों के लिये उत्तमगुण तथा शुद्ध किया हुआ यह पवन अत्यन्त सुखकारी होता है॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

स कीदृग्गुणोऽस्तीत्युपदिश्यते।

Anvay:

मनुष्यैर्यथाऽयं वायुः पूर्वं सुतं सोमं पिबाथेत्यनन्तरं ते तस्याग्रियो हृदिस्पृक् शंतमः स्तोमो भवेत् तथाऽनुष्ठातव्यम्॥७॥

Word-Meaning: - (अयम्) अस्माभिरनुष्ठितः (ते) तस्यास्य (स्तोमः) गुणप्रकाशसमूहक्रियः (अग्रियः) अग्रे भवोऽत्युत्तमः। घच्छौ च। (अष्टा०४.४.११७) अनेनाग्रशब्दाद् घः प्रत्ययः। (हृदिस्पृक्) यो हृद्यन्तःकरणे सुखं स्पर्शयति सः (अस्तु) भवेत्। अत्र लडर्थे लोट्। (शन्तमः) शं सुखमतिशयितं यस्मिन्सः। शमिति सुखनामसु पठितम्। (निघं०३.६) (अथ) आनन्तर्य्ये निपातस्य च इति दीर्घः। (सोमम्) सर्वपदार्थाभिषवम् (सुतम्) उत्पन्नम् (पिब) पिबति। अत्र व्यत्ययो लडर्थे लोट् च॥७॥
Connotation: - मनुष्यैः शोधित उत्कृष्टगुणोऽयं पवनोऽत्यन्तसुखकारी भवतीति बोध्यम्॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांसाठी शुद्ध व उत्कृष्ट गुणयुक्त वायू अत्यंत सुखकारक असतो. ॥ ७ ॥