Go To Mantra

यु॒क्तो ह॒ यद्वां॑ तौ॒ग्र्याय॑ पे॒रुर्वि मध्ये॒ अर्ण॑सो॒ धायि॑ प॒ज्रः। उप॑ वा॒मव॑: शर॒णं ग॑मेयं॒ शूरो॒ नाज्म॑ प॒तय॑द्भि॒रेवै॑: ॥

English Transliteration

yukto ha yad vāṁ taugryāya perur vi madhye arṇaso dhāyi pajraḥ | upa vām avaḥ śaraṇaṁ gameyaṁ śūro nājma patayadbhir evaiḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

यु॒क्तः। ह॒। यत्। वा॒म्। तौ॒ग्र्याय॑। पे॒रुः। वि। मध्ये॑। अर्ण॑सः। धायि॑। प॒ज्रः। उप॑। वा॒म्। अवः॑। श॒र॒णम्। ग॒मे॒य॒म्। शूरः॑। न। अज्म॑। प॒तय॑त्ऽभिः। एवैः॑ ॥ १.१५८.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:158» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:1» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:3


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे सभाशालाधीशो ! (वाम्) तुम दोनों का (यत्) जो (तौग्र्याय) बलों में उत्तम बल उसके लिये (युक्तः) युक्त (पेरुः) सबों की पालना करनेवाला (पज्रः) बलवान् मैं (अर्णसः) जल के (मध्ये) बीच (वि, धायि) विधान किया जाता हूँ अर्थात् जल सम्बन्धी काम के लिये युक्त किया जाता हूँ तथा (अज्म) बल को (शूरः) शूर जैसे (न) वैसे (पतयद्भिः) इधर-उधर दौड़ते हुए (एवैः) पदार्थों की प्राप्ति करानेवालों के साथ (वाम्) तुम्हारे (अवः) रक्षा आदि काम को और (शरणम्) आश्रय को (उप, गमेयम्) निकट प्राप्त होऊँ, उस मुझको (ह) ही तुम वृद्धि देओ ॥ ३ ॥
Connotation: - जो जिज्ञासु पुरुष साधन और उपसाधनों से अध्यापक आप्त विद्वानों के आश्रय को प्राप्त हों, वे विद्वान् होते हैं और जो अच्छे प्रकार प्रीति के साथ विद्या और अच्छी शिक्षा को बढ़ाते हैं, वे इस संसार में पूज्य होते हैं ॥ ३ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे सभाशालेशौ वां यद्यस्तौग्र्याय युक्तः पेरुः पज्रोऽहमर्णसो मध्ये वि धायि। अज्म शूरो न पतयद्भिरेवैः सह वामवः शरणमुपगमेयं तं मां ह युवां वर्द्धयतम् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (युक्तः) (ह) खलु (यत्) यः (वाम्) युवयोः (तौग्र्याय) बलेषु साधवे (पेरुः) पाता (वि) (मध्ये) (अर्णसः) उदकस्य (धायि) ध्रियते (पज्रः) बलिष्ठः (उप) (वाम्) युवयोः (अवः) रक्षणादिकम् (शरणम्) आश्रयम् (गमेयम्) प्राप्नुयाम् (शूरः) विक्रान्तः (न) इव (अज्म) बलम् (पतयद्भिः) इतस्ततो धावयद्भिः (एवैः) प्रापकैः ॥ ३ ॥
Connotation: - ये जिज्ञासवः साधनोपसाधनैः सहाध्यापकानामाप्तानां विदुषामाश्रयमुपव्रजेयुस्ते विद्वांसो जायन्ते ये च संप्रीत्या विद्या सुशिक्षा वर्द्धयन्ति तेऽत्र पूज्या भवन्ति ॥ ३ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे जिज्ञासू पुरुष साधन व उपसाधनांनी अध्यापक, आप्त विद्वानांचा आश्रय घेतात ते विद्वान होतात व जे चांगल्या प्रकारे प्रेमाने विद्या व शिक्षणाची वृद्धी करतात ते या जगात पूज्य ठरतात. ॥ ३ ॥